बेवफ़ा का ग़म नहीं करना कभी

बेवफ़ा का ग़म नहीं करना कभी | Bewafa ghazal

बेवफ़ा का ग़म नहीं करना कभी

( Bewafa ka gham nahi karna kabhi )

 

 

ग़म का तू आलम नहीं करना कभी!

प्यार दिल से कम नहीं करना कभी

 

भूल जाना तू उसे दिल से सदा

बेवफ़ा का ग़म नहीं करना कभी

 

दोस्त सच्चा जो हुआ तेरा नहीं

तू उसका मातम नहीं करना कभी

 

याद करके बेवफ़ा को तू मगर

तू निगाहें नम नहीं करना कभी

 

जिंदगी वरना कटेगी  ये ग़म में

तू जुदा मुझसे  हम दम करना  नहीं

 

तोड़कर दिल प्यार में तू आज़म का

आंसुओं का तू आलम करना नहीं

 

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शायर: आज़म नैय्यर

( सहारनपुर )

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