Ghazal Dekhoon Haseen Shakal
Ghazal Dekhoon Haseen Shakal

देखूँ हसीन शक्ल

( Dekhoon Haseen Shakal )

 

तुम दहर में हसीन मुझे ही अज़ीज़ हो
वो प्यार की मिठास भरी ख़ास चीज़ हो

देखूँ हसीन शक्ल सनम की वो भला कैसे
जब रोज़ दरमियान यहाँ तो दबीज़ हो

चेहरे पे हो कशिश तो निगाहें हसीन भी
उसपे सनम के चेहरे के आरिज़ लज़ीज़ हो

आकर गले से लगना,मलिका हो दिल की तुम
ये सोचकर न आना कि कोई कनीज़ हो

टूटे न राब्ता ये कभी प्यार का सनम
रिश्ता सदा हमेशा ही ऐसा ग़लीज़ हो

दुनिया समझ रही है कि पागल है ये बशर
मेरी नज़र में आप बहुत ही रमीज़ हो

मिलता नहीं सुकून तो आज़म बिना सनम
अब रोज़ ही उसी की यहाँ तो नज़ीज़ हो

 

शायर: आज़म नैय्यर
(सहारनपुर )

यह भी पढ़ें :-

प्यार की दिल में कसक रही | Kasak Shayari

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here