Bhai dooj

भाई दूज

( Bhai dooj ) 

1

दीपावली पंच-महापर्वों में ये भी एक त्योंहार,
जो तोड़ने से भी न टूटे ये रिश्ता ऐसा है यार।
दीपावली के दो दिन बाद आता यही त्योंहार,
भाई बहिन की याद दिलाता ये बचपन प्यार।।

भाई दूज व यम द्वितीया से जानता ये संसार,
स्वयं हाथों से पकवान बनाकर करती तैयार।
रोली अक्षत चन्दन से सजाती है बहना थाल,
तिलक लगाकर करती है आदर एवं सत्कार।।

ये लम्बी उम्र के लिए बहन करती है उपवास,
रहें सदा भैय्या तेरे घर माता लक्ष्मी का वास।
करते रहो जगत में भाई आप सर्वदा विकास,
रहें सदा तुम स्वस्थ निरोगी रहें ऊंचा निवास।।

ये कच्चे-धागो का रिश्ता भी है बहुत मजबूत,
जिसके बन्ध जाता रक्षा करता स्वयं यमदूत।
ये बहिन-भाई का प्यार कभी होता नही कम,
चाहे बचपने से वृद्धावस्था आ जाये ये बहुत।।

देश में जिसको अलग अलग नामो से जानते,
भारत के अलावा इसे नेपाल में भी है मनाते।
इस रोज़ भाई बहिनों को उपहार में कुछ देते,
रक्षाबन्धन की जैसे इस त्योंहार भी है मनाते।।

भाई दूज का त्यौंहार

( Bhai dooj ka tyohar )

Bhai Dooj ka Tyohar

2

आओं मनाएं भाई-दूज का त्यौंहार,
बहन को दे एक अच्छा सा उपहार।
भाई बहन का ये पवित्र ऐसा रिश्ता,
माॅं जैसा प्यार इस बहन से मिलता।।

इसी दिन का बहने करती इन्तजार,
वर्ष में एकबार आए पावन त्यौंहार।
चेहरे पर आए मीठी-मीठी मुस्कान,
घर-ऑंगन छाए खुशियो की बहार।।

सजाकर लाए बहने पूजा का थाल,
ऑंगन की शोभा बरसाएं वो प्यार।
मस्तक पे चंदन तिलक वो लगाती,
उतारकर आरती करती है सत्कार।।

एक मात्र धागे का अटूट यह बंधन,
यही संस्कृति रक्षा सूत्र अभिनन्दन।
ये हाथ सदा सुरक्षा कवच बना रहे,
लंबी उम्र पाए भाई करती ये वंदन।।

अपार दुआऍं भैया बहन से पाकर,
मिठाइयाॅं बहन के हाथ से खाकर‌।
देता है अनमोल बहनो को उपहार,
ऐसा है यह भाई बहन का त्यौंहार।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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