गोवर्धन गिरधारी

( Govardhan girdhari ) 

 

पूज रहा है आपको आज सारा-संसार,
मौज और मस्ती संग मना रहा त्योंहार।
कभी बनकर आये थें आप राम-श्याम,
कई देत्य-दुष्टो का आपने किया संहार।।

पहना रहे है आपको हम फूलो के हार,
जीवन में भर दो हमारे खुशियां अपार।
रघुकुल नंदन आप है गिरधारी गोपाल
घर-घर में सजावट गोबर गोवर्धन द्वार।।

इन गायो का देखो हो रहा है बुरा हाल,
हम सब को गोपाल करो आप निहाल।
धरा पर पधारो आप फिर से धनश्याम,
बिगड़ रहीं है धीरे-धीरे समय की चाल।।

घमण्डियों का घमण्ड किया चकनाचूर,
शरणार्थी की रक्षा आपने की है ज़रूर।
उंगली पर धारण किया गोवर्धन पहाड़,
बखान आपके पढ़े और सुने है भरपूर।।

अत्याचार, भ्रष्टाचार हो रहा चारो और,
पापियों के पापो से बढ़ रहा है ये शोर।
संकट हरो मुरलीधर श्रीहरि पालनहार,
जीवन में भर जाओ खुशियों की भोर।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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