भाई-दूज
( Bhai-dooj )
देखो फिर आया भाई-दूज का त्यौहार |
देखो कैसे उमड़ रहा भाई-बहन का प्यार |
चाहे दूर रहे मेरा भाई या रहे पास |
रहती हर बहन को ईश्वर से बस यहीं हरदम आस |
जहाँ भी रहे उसका भाई |
सदा रहे खुशहाल |
भाई भी यहीं चाहे हरदम |
ऐसी हो उसके बहना की तकदीर |
कि कभी न आए उसकी आँखों में नीर |
जब न पहुँच पाता कोई भाई,
भाई-दूज पर अपनी बहना के द्वार |
करती रहती बहना हर पल उसका इंतजार |
जब भी आता भाई-बहन का यह त्यौहार |
लेकर आता अपने संग बचपन की यादें हजार |
कोई बहना मना रही अपने भाई संग यह प्यारा त्यौहार |
देखो कैसे कर रही आशीषों की बौछार,
अपने भाई की आरती उतार |
बदले में दे रहा वचन भाई भी ,
रक्षा करूँगा मैं बहना तेरी हरदम हर हाल |
नहीं रहती चाह किसी हीरे ज्वाहारात की |
बस यही चाह हैं हरदम,
अमर बेल सा बढ़ता रहे हम भाई-बहन का प्यार |
ऐसा होता भाई-बहन का प्यार |
देखो आया भाई-दूज का त्यौहार |
मंजू अशोक राजाभोज
भंडारा (महाराष्ट्र)
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