भाई की ताक़त | Bhai ki Takat
कहा जाता है भाई ताकत है । भाई शक्ति है । यदि भाई साथ है तो आप पूरी दुनिया को जीत सकते हैं। यदि भाई साथ नहीं है तो आप पूरी दुनिया से हार जाते हैं।
अयोध्या में राम लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न चार भाई थे। चारों भाइयों का पालन पोषण बड़े ही लाड प्यार से किया गया। चारों के पिता एक थे लेकिन माताएं अलग-अलग थी। माता कौशल्या के राम जी , कैकेई के भरत तो सुमित्रा के लक्ष्मण और शत्रुघ्न थे।
बड़े होने पर जब राजतिलक की बात आई तो राम को राजगद्दी सौंपी जाने वाली थी कि माता कैकेई ने वरदान स्वरुप भरत को राजगद्दी एवं राम को 14 वर्ष का वनवास मांग लिया।
राम बहुत ही सुलझे हुए राजकुमार थे। उन्होंने विचार किया कि यदि भरत राज गद्दी पर बैठता है तो इससे एक तो परिवार में शांति बनी रहेगी । फिर भी बड़ा भाई होने के नाते राजा तो मैं ही रहूंगा। ऐसा विचार कर उन्होंने वन जाने का निश्चय कर लिया।
वन में जैसा की रामायण में उल्लेख है कि उनकी पत्नी माता सीता का रावण द्वारा अपहरण हो जाता है। राम को चूंकि भाइयों की शक्ति का आभास था। इसी बीच महाशक्तिशाली बाली और सुग्रीव के बीच अनबन चल रही थी। ऐसे ही हालात रावण और विभीषण के बीच भी था उनमें भी आपस में नहीं पट रही थी।
रावण और बाली उस कालखंड के महा शक्तिशाली योद्धा थे। एक प्रकार से अजेय थे।जिन्हें जीतना सामान्य व्यक्ति के बाहर की बात थी। राम को इस बात का आभास हो चुका था। बिना बाली और रावण को हराए सीता को वापस पाना मुश्किल था।
राम चूंकि सुलझे हुए योद्धा थे उन्होंने बुद्धि से काम लिया। भाइयों के बीच हो रहे लफड़े को उन्होंने अपना हथियार बनाया। सुग्रीव से मित्रता करके उन्होंने अजेय बाली को मार गिराया।
कहा जाता है कि बाली रावण को भी पूर्व में हरा चुका था। आज अपने भाई सुग्रीव की धोखेबाजी और गद्दारी के कारण हार गया, टूट गया। राम ने उसे सामने से ना मार करके धोखे से मारा।
आज एक योद्धा का अपने भाई की नमक हरामी के कारण अंत हो गया। बाली के मारे जाने से एक प्रकार से रावण भी टूट चुका था।
उसका भाई विभीषण बहुत ही कमजोर था। लेकिन बहुत ही महत्वाकांक्षी भी था। उसकी नजर लंका के राजगद्दी पर थी। यही कारण था कि वह गुप्त रूप से लंका की गुप्त सूचनाएं राम को दिया करता था। बाली के मरने के बाद विभीषण बहुत खुश हुआ।
रावण के लड़के मेघनाथ को जब विभीषण की गद्दारी का पता चला तो उसने अपने पिता को सूचित किया। जिससे कुपित होकर रावण ने विभीषण को अपने राज्य से दूर हो जाने का आदेश दे दिया।
यह सूचना पाकर की रावण और विभीषण में खटास पैदा हो गई है।राम को बहुत खुशी हुई।
भगवान राम को भाइयों की एकता की शक्ति का आभास था। उन्होंने विभीषण से मैत्री का संदेश भेजा और विभीषण तो यही चाहता भी था।
विभीषण ने लंका के सारे गुप्त रहस्य राम को बता दिए। जिसके कारण अजेय रावण त्रिलोक विजेता रावण मारा गया।
यह कथानक हमें या शिक्षा देता है कि चाहे हम कितने भी अजेय हो । त्रिलोक के विजेता ही क्यों ना हो यदि हम अपने भाई को साथ नहीं रख सकते हैं तो हमारा शत्रु हमें हरा सकता है। राम एक राजनीतिक पुरुष थे। उन्होंने अपनी राजनीतिक चालों से उनके भाइयों की गद्दारी का फायदा उठाकर बाली और रावण जैसे महाशक्तिशाली को मिट्टी में मिला दिया।
इस कहानी से हमें शिक्षा लेते हुए चाहिए कि हर परिस्थिति में भाइयों से मैत्री बनाकर रखें। यदि आपका भाई आपके साथ है तो दुनिया की कोई ताकत आपको नहीं हरा सकती हैं। चाहे वह महाशक्तिशाली बाली और रावण ही क्यों ना हो?
रामायण के प्रमुख पात्र भगवान राम से हमें यह शिक्षा लेने की आवश्यकता है। हमारा कुछ नुकसान होता है तो हो जाने दें लेकिन अपने भाइयों से मिलकर के रहे। कभी भी पत्नी और बच्चों के बहकावे में आकर भाइयों से मनमुटाव ना करें।
यदि अलग भी हो गए हैं तो फिर भी बातों का सिलसिला बंद ना करें। भाई आपकी ताकत है ।आपकी शक्ति है आपकी भुजा है। भाई साथ है तभी आप शक्तिशाली हैं। आप दुनिया को जीतने की शक्ति रखते हैं। सब कुछ हार करके भी भाई को साथ रखने का प्रयास करें। जिस प्रकार से राम ने अपने भाई को राजगद्दी सौंप कर भी भाई को साथ रखा था।
रामायण कोई सामान्य ग्रंथ नहीं है बल्कि वह हमें जीवन जीने का सलीका सिखाती है। भाइयों की शक्ति का आभास कराती हैं। वनवास के समय यदि सीता विद्रोह कर देती तो राम टूट जाते । यह सिखाती है कि परिवार की एकता बनाए रखने में पत्नी का बहुत बड़ा सहयोग होता है। घर में यदि पत्नी का सहयोग है तो घर स्वर्ग बन सकता है।
योगाचार्य धर्मचंद्र जी
नरई फूलपुर ( प्रयागराज )