भक्त प्रह्लाद | Bhakt Prahlad
भक्त प्रह्लाद
( Bhakt prahlad )
होलिका भी जल गई,
प्रह्लाद को भर गोद,
हर्ष जग में छा गया,
सब होली मनाइए।
सद्भाव की घटाएं भी,
लाई रंगों की बहार,
घट घट हर्ष छाया,
मस्त होकर गाइए।
सच्चे भक्त प्रह्लाद जो,
प्रभु का करते ध्यान,
दीनानाथ रक्षा करें,
हरि ध्यान लगाइए।
प्रह्लाद की रक्षा करी,
ले न्रसिंह अवतार,
जग के करतार को,
कीर्तन से रिझाइये।

कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
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