भीड़ भक्तों की मय्या तेरे द्वार है
भीड़ भक्तों की मय्या तेरे द्वार है
भीड़ भक्तों की मय्या तेरे द्वार है
इनकी कश्ती फँसी आज मझधार है
जब भी भक्तों पे संकट की आई घड़ी
दुर्गे माँ ने लिया तब ही अवतार है
दैत्य दानव दरिंदों के संहार को
माँ उठाती सदा अपनी तलवार है
झूमते नाचते धुन पे गरबे की सब
हर्ष उल्लास भरता ये त्यौहार है
आये हैं सब दुखी तेरे दरबार में
पास तेरे दया का जो भण्डार है
माँ के जयकारे से ही फ़कत कामिनी
मेरी नैया भंवर से हुई पार है
डॉ कामिनी व्यास रावल
(उदयपुर) राजस्थान