भानुप्रिया देवी की कविताएं

भानुप्रिया देवी की कविताएं | Bhanu Priya Devi Hindi Poetry

ताजमहल सा इश्क

ताज महल सा इश्क
जीवन में दुर्लभ सबको।
नसीब से मिलता है
धरा से गुजर जाने के
बाद भी हृदय में यादें
और दिल में स्थान।

उनके बारे में अच्छी सोच,
अजूबा सा ताजमहल
बना जाते हैं,यादगार स्वरूप।
जीवन पर्यंत देख उसे
मल्लिका की जिंदगी

को याद कर करते जीवन ताजा।
शहंशाह शाहजहां का प्रेम प्रशंसनीय,
अवर्णनीय,अद्वितीय,सराहनीय।

सूरजमुखी

सूर्य की दिशा में
चक्कर लगाती
मानो यह प्रकृति उपग्रह
जो धरातल में उपस्थित,
कर रहे हो सूर्य की परिक्रमा।
अभी बता रही है,
दिन का 12:00 बजा है।
सीधा खड़ी है सूरजमुखी।
जब ईश्वर ने हमें निर्माण
सूरजमुखी रूपी घड़ी प्रदान।
आखिरकार बरसात में ,
समय तो देखना ही था ना।
सूर्य की स्थिति क्या है?
दिन का ज्ञान जानना भी
जरूरी था जीवन के लिए।
कहां तक हुई गमन सूर्य की।
आखिरकार उस समय ,
मानव निर्मित घड़ी तो नहीं।
हम मानव उस समय धरातल
की प्रकृति,शोभा,सुषमा में
कदम रखे ही थे।
धरातल में सुसज्जित होकर,
धरातल की दुनिया का केवल
एक झलक ही निहार।
उस समय हमारी सहायता अर्थ,
रचनाकार जीवन की हर वस्तु निर्माण।
तब हमें किया धरती पर अवतरित।
गौर से प्रकृति निहारने पर
इसकी झलक स्पष्ट।

बेटियां

किसी आंगन की फुल तो,
किसी आंगन की शोभा,
होती हमारी यह बेटियां।
दो घर की अमानत संभालती
स्थिति को भी ये बेटियां ही।
बेटियों के हाथ में बड़ी जिम्मेदारी,
बेटियां बनाती है घर को स्वर्ग,
जोड़कर रखती है पूरे रिश्ते-नाते।
एक दिन सारे रिश्तों का बागडोर,
पूरे नूतन परिवार की चाबी
बेटियों के हाथों में समाहित।
बेटियों पर पूरे परिवार का भार,
इसे संभालना पड़ता तन-मन-लग्न
से तभी माला सा जुड़ा परिवार ।
इसलिए सही लालन-पालन-शिक्षा
दीक्षा दे खड़ा करें बेटियों को ।
इतना,हर्ष,उमंग,उत्साह डालें,विपरीत
परिस्थिति में भी खड़ा रहे बेटियां।
घर की आंधी-तूफान में डटे रहे वह,
शेर के गर्जनों को सही उत्तर से
आश्चर्यचकित में डाल खड़े रहे मैदान में।
घर उलझन को शांत बुद्धि,विवेक से।
जीवन खुशियों से भर रहे उसकी
उत्साहवर्धक भावी सुखी संसार हो।
सबसे बड़ी जिम्मेदारी भविष्य खड़ा
करती भविष्य में लड़कियां ही।
जब मां बन जाती यह बेटियां ,
रामकृष्ण का पालन इन बेटियों ने ही।
प्रकृति भी हमारी मां एक बेटी ही,
जो निभाती विश्व की जिम्मेदारियां।

उदास,दु:खी जिंदगी

रहो हरदम खुश,मस्त तभी स्वस्थ
क्यों इतना उदास,दु:खी हो जिंदगी से मन ।
जिंदगी भी तो एक सपना ही।
कहां है इसमें भी हकीकत का चना।
यहां छोड़कर जाना पड़ेगा एक दिन,
कोई हकीकत थोड़े है जो इतना चिंतित।
क्यों सोच रही घनघोर काली रात्रि स्व जीवन को।
अपने जीवन को क्यों कोस रही तू मन।
जिंदगी में आई है तो एक दिन विदा यहां से।
यहां सदैव थोड़े घर बनाना है, कुछ दिन का
ही तो वीजा मिला है संसार की।
इसलिए खुश रहो, स्वस्थ रहो, मस्त रहो,
बेफिजूल की चिंता में मत रहो मन।
अपना जियो शांति से दूसरे को भी जीने दो ।
अपना खुश,मस्त रहो दूसरे को भी रहने दो ।
तभी कहलाएगी सफल जिंदगी।
इसलिए अब खुश रहो,मुस्कुराओ,चिंता छोड़ो।
सूरज की सुबह किरण सा चमक
छोड़ो जीवन में मन मेरे।

रिद्धि-सिद्धि

रिद्धि-सिद्धि-बुद्धि के दाता
गणपति बप्पा मोरया।
सदा बनये रखें जीवन में हमें
रिद्धि,सिद्धि,बुद्धि से परिपूर्ण,
मंगल मूर्ति गणेश जी, यही
मंगल कामना हमारी आपसे।
विघ्नहर्ता गणेश जी नमन ,
हम पर सदैव कृपा बरसाए रखें ।
यह हमारे नम्र निवेदन मंगल मूर्ति।
कृपा करके सभी अमंगल को
हमसे दूर भगाएं विघ्नहर्ता।

भानुप्रिया देवी

बाबा बैजनाथ धाम देवघर

यह भी पढ़ें :-

तेरी दहलीज पर पापा | Teri Dehleez Par Papa

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *