Udas kavita

उदासी | Udasi par Kavita

उदासी

( Udasi )

 

बादल  जैसी  छाई  उदासी ।

घिर- घिर कर फिर आई उदासी ।।

 

दिन-दिन बढ़ती ही जाती है ।

जैसे  हो  महंगाई  उदासी ।।

 

सूने दिल में बजती जैसे ।

दूर कहीं शहनाई उदासी ।।

 

सागर की लहरों सी खुशियां

सागर की गहराई उदासी ।।

 

शमा  जली  जब  सूरज डूबा ।

धुंआ -धुंआ सा लाई उदासी ।।

 

 

लेखक :  डॉ.कौशल किशोर श्रीवास्तव

171 नोनिया करबल, छिन्दवाड़ा (म.प्र.)

यह भी पढ़ें : –

आगों में | Aagon mein kavita

Similar Posts

One Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *