भरोसा टूट जाता है | Bharosa Toot Jata Hai
भरोसा टूट जाता है
( Bharosa Toot Jata Hai )
मुसीबत जब भी आती है भरोसा टूट जाता है
सभी मुख मोड़ते हैं और रिश्ता टूट जाता है
नहीं है खेल बच्चों का लगाना दिल किसी से भी
ज़रा सी ठेस लगने पर ये शीशा टूट जाता है
सलीक़े से निभाओ आप रिश्तों को मुहब्बत के
परखिए मत उसे ज्यादा कि अपना टूट जाता है
मुकद्दर साथ देता है तभी होती है शय हासिल
वरगना होंठ तक आकर भी प्याला टूट जाता है
गुज़रती आसमां पर क्या ज़मीं कैसे समझ पाए
फ़लक से जब कोई रौशन सितारा टूट जाता है
किसी मासूम पर जब भी उठी उँगली ज़माने की
तो फिर इंसाफ़ से सब का अक़ीदा टूट जाता है
मुकम्मल हो न पाता है सफ़र अपनी मुहब्बत का
किनारा जब नज़र आता सफ़ीना टूट जाता है
परिंदा फड़फड़ाता और बिलखता चीखता है जब
मुहब्बत से भरा उसका घरोंदा टूट जाता है
भरे हैं रंग उल्फ़त के ग़ज़ल में हमने पर मीना
किसी से वस्ल का सपना हमारा टूट जाता है
कवियत्री: मीना भट्ट सिद्धार्थ
( जबलपुर )
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