Ghazal Saath ke Pal
Ghazal Saath ke Pal

साथ के पल

( Saath ke Pal )

 

आज भी याद है तुमसे पहली मुलाकात के पल,
कितने ख़ूबसूरत थे, वो मेरे तुम्हारे साथ के पल,

थका-हारा जब लौटा करता था आशियाने पे मैं,
तुम्हारी मासूम मुस्कुराहट भूला देती दर्द के पल,

मेरे दिल की शहज़ादी तेरा दामन भर दूँ फूलों से,
लम्हा-लम्हा करवट लेती, ये ख़्वाहिशात के पल,

तोड़ के चाँद-सितारे सजा दूँ आशियाना तुम्हारा,
दिल को बड़ा सुकून देते हैं ये एहसासात के पल,

तेरे हर उठते क़दम के साथ चलती धड़कनें मेरी,
हो मेरे बस में तुझपे निसार दूँ कायनात के पल!

 

Aash Hamd

आश हम्द

( पटना )

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