भारतीय समाज और लड़कियां | Bhartiya Samaj aur Ladkiyan
हमारे भारतीय समाज में स्त्री जाति की हमेशा से ही पूजा की गई है बल्कि उनको सदैव ही सम्मान का अधिकारी बनाया गया मां, बेटी, बहिन या फिर पत्नी जहां सदैव ही स्त्री को आगे रखा गया परंतु युग परिवर्तन के दौरान जब-जब भारत पर आक्रमण हुआ तब पाश्चात्य संस्कृतियों ने हमारे समाज पर बहुत प्रभाव डाला यहां तक की भारत की संस्कृति को पूरी तरह मिटाने की कोशिश की गई हैं।यह समाज पुरुष प्रधान कहलाया गया।
जबकि सत्य यह है कि हमारे समाज में पुरुष को स्त्री की रक्षा के लिए ही सदैव तत्पर रहने के लिए कहा गया है परंतु इसके चलते ऐसा बिल्कुल नहीं है कि स्त्री लाचार है ।
हमारे भारत की ही परंपरा है जहां देवी शक्तियों में शक्ति की आराधना की जाती है पुरुष के पहले स्त्री को सम्मान देकर आगे बढ़ाया जाता है यहां तक की विद्या और साधना की देवी भी देवी सरस्वती है । यदि अपनी भारतीय संस्कृति से कुछ जानकारी हासिल करके आज हमारा भारत का समाज अपनी बेटियों को पड़ता लिखाता आगे बढ़ता तो पिछड़ा हुआ कभी नहीं कहलाता।
उदाहरण के लिए जैसे मकान की नींव में पत्थर ही काम आता है उसी प्रकार एक घर की नीव घर की स्त्री ही रखती है और इसलिए उसका शिक्षित होना बहुत जरूरी है ।
आज यदि हम पर इस पाश्चात्य संस्कृति का असर न होता तो आज बात ही कुछ अलग होती। शुरू से ही स्कूल और विद्यालयों में लड़कों के साथ लड़कियां भी पढ़ती। वेद और शास्त्रों की शिक्षा भी बराबर पाती। परंतु मैंने देखा है स्त्रियां ही स्त्रियों से शत्रु जैसा व्यवहार करती है जरूर किसी महिला ने ही घर के काम करने के कारण बच्चियों की पढ़ाई लिखाई बंद की होगी,और इसके अलावा कुछ रूढ़िवादी लोगों ने मासिक धर्म के बाद उन्हें घर से निकलने नहीं दिया होगा। इस प्रकार धीरे-धीरे कई पीढ़ी तक भारत की बच्चियों पढ़ाई लिखाई से धीरे-धीरे दूर होती गई।
परंतु ये आज का भारत अलग है वे लड़कियों को लड़कों से कम नहीं समझता।आज कोई भी क्षेत्र हो लड़कियां प्रगति कर रही है भारत पर पड़े पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव के कारण हमारा भारत का भविष्य अंधकार में जरूर था परंतु अब उज्जवल है।
आज हमारे भारत सरकार की तरफ से लड़कियों को कई सारी सुविधाएं उपलब्ध है ताकि कोई भी शिक्षा प्राप्ति में या किसी भी क्षेत्र में आगे आने में उन्हें किसी भी प्रकार की दिक्कत ना हो बस जरूरत है तो एक सहायक की एक अच्छे समाज सेवी बनकर हमेशा लड़कियों की मदद करें जहां भी आवश्यकता हो वहां उनको आगे बढ़ाए अवसर दे क्योंकि जितना पुरुष प्रधान यह देश है उतना ही देश को शक्ति की आवश्यकता है और लड़कियां हमारी शक्ति की पहचान है इन्हें पढ़ाया जाए इन्हें आगे बढ़ाएं जाए।
आशी प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका)
ग्वालियर – मध्य प्रदेश
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