भीगी सी अश्कों से दिल की जमीन है

Ghazal | भीगी सी अश्कों से दिल की जमीन है

भीगी सी अश्कों से दिल की जमीन है

( Bhigi Si Ashkon Se Dil Ki Zameen Hai )

 

 

भीगी सी अश्कों से दिल की जमीन है!

यें   जिंदगी   अधूरी   तेरे   बिन   है

 

ऐसा मिला दग़ा खुशियों से ही मुझे

दिल  रोज़  रहता मेरा ही हज़ीन है

 

वो तोड़कर गया क्यों रिश्ता प्यार का

की  सोच  में  डूबा  मेरा  ज़हीन  है

 

इक भी मिठास का बोला न लफ़्ज वो

वो  बोले  लफ़्ज  मुझसे  नमकीन  है

 

वीरान है ख़ुशी से घेरा ग़मों ने ही

कब जीस्त में ही यारों फ़रहीन है

 

आता  फ़रेबी  हर बातों  में  वो मुझे

दिल से नहीं लगता वो ही मुबीन है

 

दीदार कर लेता मैं दूर से उसका

हाथों  में  ही नहीं मेरे  दूरबीन है

 

की सीरत से नहीं है वो अच्छा भरा

सूरत से जो लगता आज़म हसीन है

 

❣️

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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