Birsa Munda

बिरसा मुंडा

( Birsa munda ) 

 

देश दुनिया के इतिहास में ०९ तारीख है ये ख़ास,
पुण्य-तिथि मनाते हर साल जो जून का है मास।
इस दिन उस महान आत्मा ने लिया अंतिम श्वास,
राॅंची में समाधि बनी है डिस्टिलरी पुल के पास।।

वनवासियों-आदिवासियों के वे कहलाएं भगवान‌,
साहस एवम ताकत के बल पर बने है वो महान।
कम आयु के थें लेकिन अद्भुत अद्भुत किए काम‌,
बिरसा मुंडा से जानता आज जिनको ये जहान।।

अच्छे कार्यों की वजह से इनको पूजता ये संसार,
बंगाल उड़ीसा झारखण्ड छत्तीसगढ़ और बिहार।
हिन्दू धर्म एवं ईसाई धर्म की जिन्होंने शिक्षा पाई,
बिगुल फूंका अंग्रेजो के खिलाफ नही माने हार।।

नाक में दम कर दिया गौरों के अकेले इस मुंडा ने,
पाॅंच सौ रु ईनाम रखा तब बिरसा पर अंग्रेजों ने।
तीर-कमान से लड़े बहादुर तोप-बंदूको के सामने‌,
साज़िश से पकड़ा एवं ज़हर दिया जेल कर्मी ने।।

महान स्वतंत्रता सेनानियों में गिना जाता जिनको,
धर्मान्तरण का विरोध-कर समझाया समाज को।
लोग इन्हें भगवान मानते ये भगवान को न मानते,
४० साल की आयु में जो छोड़ दिया संसार को।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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