बिटिया घर की जान

( Bitiya ghar ki jaan ) 

 

सौ दीपक एक मुस्कान
बिटिया तो घर की जान !

लाडली सबकी होती हैं
दानी नानी की पहिचान !

बड़ी मम्मी बुलाते इनको
जब बातों से खींचे ये कान ।।

कुछ भी हो ,रखती हैं आखिर
ये बेटियां परिवार का ध्यान!

अपनी मधुर मुस्कान बिखेरती,
हर दुख को आंचल में सिमेटती

रोशन कर देती हैं ये घर सारा
इनको दो तुम संस्कार और ज्ञान ।।

प्रेम की डोरी से बांधे ये घर को ,
स्नेह आनंद खुशियां इनसे अपार।।

शिक्षित करो इन्हें तुम पहिले ,
फिर करना इनका कन्या दान!

ये कोई सामान्य दान नहीं हैं,
बिटिया होती दो कुल की शान ।।

घर बाहर की कंधो पर जिम्मेदारी
सम्मान की अब बिटिया की बारी !

सिर्फ बिटिया दिवस नही मनाना है
शपत लेने की अब हमारी हैं बारी !

अपने पैरो पर खड़ी हो हर बिटिया
अब शिक्षित हर बिटिया हो हमारी ।।

 

आशी प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका)
ग्वालियर – मध्य प्रदेश

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