बुढ़ के फरियाद

बुढ़ के फरियाद | Budh ke Fariyad

बुढ़ के फरियाद

( Budh ke Fariyad )

मंदिर गईनी , मसजिद गईनी , कईनि सगरो इयारी
उहा केहू ना सुनलक त, अईनी रउआ दूआरी
उम्र हमर ढल गइल बा, पाच गो भईली नारी
बाकी एगो बच गईल बिया, बिया उ कुआरी

बेटा हमर दुगो बा लोग, निकलल लोग फिरारी
भइल बीयाह जब से तब से बस गईल लोग ससुरारी
बेचता लोग हमर अरजल, ना देम त उ लोग मारी
कईसे करी बियाह बेटी के, अईनी राउर दुआरी

काट लेम हम आपन जिंदगी, भले बन भिखारी
मर जायेम त के देखी, बिया मासुम अउर पयारी
आईल बानी आश लेके, जज साहेब बाटे बिपदा भारी
बेटी अभी कुआर बिया, कुछ त पुडीया मारी।

रचनाकार – उदय शंकर “प्रसाद”
[ पुव सहायक प्रोफेसर (फ्रेंच विभाग), तमिलनाडु ]
एवं वर्तमान अधिवक्ता ( सिविल कोर्ट , बगहा)
यह भी पढ़ें:-

दिया काहे बुझ गईल | Diya Kahe Bujh Gayeel Bhojpuri Kavita

 

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