बटन

( Button )

 

बटन ही तो दबा है मतदाता के कर कमलों से।
लोकतंत्र भाग्य विधाता आमजन हुआ पलों में।

बदल रहा है तकदीर कहीं फूल कमल का खिलता।
कहीं हाथ होता मजबूत विजय रथ शान से चलता।

बटन ने बांध रखी है मर्यादा की हर लक्ष्मण रेखा।
बटन हुआ बेजोड़ तंत्र का बदले किस्मत की रेखा।

बटन दबाने से वायुयान भी गतिमान हो जाता।
नील गगन में भरे उड़ानें दूर तलक वो पहुंचाता।

बटन बंधा है अपने फर्ज से सोच के जरा दबाओ।
खरा हो उम्मीदवार जनसेवक प्यारे उसे जीताओ।

 

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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