बुजुर्ग ठंडी छांव

( Buzurg thandi chhaon ) 

 

बगिया को महकाने वाले,
प्रेम सुधा बरसाने वाले।
घर में रौनक लाने वाले,
संस्कार सिखलाने वाले।
आओ कर ले उनका वंदन

लाड प्यार दुलार जो देते,
जीवन को संवार वो देते।
कदम कदम पे बने सहारा,
खुशियों का उपहार जो देते।
आओ कर ले उनका वंदन

आदर्शों की राह दिखाते,
तूफानों से जो भिड़ जाते।
घर आंगन की शोभा जो,
दुनिया में यश कीर्ति पाते।
आओ कर लें उनका वंदन

बड़े बुजुर्ग नींव के प्रस्तर,
पढ़ा लिखा हमें देते स्तर।
मत हो जाना कभी नश्तर,
छत्रछाया देते झोली भर।
आओ कर लें उनका वंदन

 

कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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