ब्याह | Byah
ब्याह
( Byah )
तेरे आंगन की चिड़ियां बाबा एक दिन मैं उड़ जाऊंगी,
दिखेगा चंदा सूरज तुझको पर मैं नजर ना आऊंगी।
मंडप सजाया खुशियां मनाई सहरे सजें बाराती थे,
वो तो तेरे दहेज के बाबुल आए बन सौगाती थे,
तेरी आंखों ने सपने बुने थे गुड़ियां को ऐसे ब्याहूंगा,
अपनी लाडो की खातिर कोई राजकुमार सा लाऊंगा,
कुल परिवार को ताऊ ने देखा बुआ ने ले ली खुश हो बलाई,
राजकुमारी मेरी देखो राजकुमार के साथ ब्याही।
तेरे आंगन की चिड़ियां बाबा एक दिन मैं उड़ जाऊंगी,
दिखेंगे चंदा सूरज तुझको पर मैं नजर ना आऊंगी।
चलीं डोली जब देखो बाबुल फिर क्या जमाता से कहते हैं,
सुनो जमाता जी, लाड़ो की फिक्र में मेरे आंसू बहते हैं,
कहें लाड़ो से सुन मेरी लाड़ो, कैसे लाज बचाएं रखें,
तेरे हाथों में मेरी पगड़ी का कैसे सम्मान बनाए रखें।
तेरे आंगन की चिड़ियां बाबा एक दिन मैं उड़ जाऊंगी,
दिखेगा चंदा सूरज तुझको पर मैं नजर ना आऊंगी।
सिसकियां भर भर रोएं लाड़ो कैसी ये जग ने रीत बनाई,
तेरी बगिया की पुरवइया बाबा कैसे हो गई आज पराई,
खुश हो होकर सब देवें बधाई खुशियां छाई आंगन थी,
पर कौन जाने हाय: बाबुल तेरी लाड़ो कितनी अभागन थी।
तेरे आंगन की चिड़ियां बाबा एक दिन मैं उड़ जाऊंगी,
दिखेगा चंदा सूरज तुझको पर मैं नजर ना आऊंगी।
किसको जाकर पीर सुनाऊं किसको करूं फरियाद बता,
सात फेरे वचनों को बाबुल कितना रखा याद बता,
नैया पार लगी ना देखो समय ने ऐसा तोड़ दिया,
तेरी लाड़ो का पल्लू बाबुल तेरे जमाता ने छोड़ दिया,
घुट घुट तेरी लाड़ो जीतीं सौत ने ऐसी आग लगाई,
गाड़ी गहने जेवर बाबा आज मेरे किसी काम ना आईं।
तेरे आंगन की चिड़ियां बाबा एक दिन मैं उड़ जाऊंगी,
दिखेगा चंदा सूरज तुझको पर मैं नजर ना आऊंगी।
जब भी ढूंढो वर बेटी का मन को उनके भांपो तुम,
लाड़ो को स्वावलंबी बनाओ विवाह में जीवन ना आंको तुम,
कहें तुमसे कलम ये मेरी ऐसा दस्तूर ना पालों तुम,
अपनी अपनी लाड़ो को बस ऐसे विवाह से बचा लो तुम,
तेरे आंगन की चिड़ियां बाबा एक दिन मैं उड़ जाऊंगी,
दिखेगा चंदा सूरज तुझको पर मैं नजर ना आऊंगी।
रचनाकार: शिवानी स्वामी
गाजियाबाद, ( उत्तर प्रदेश )