एक्स रे और फोटो

( X-rays aur photos )

 

सुंदर छवि आकर्षक मोहक मन को लगती प्यारी।
एक एक्स रे बतला देता देह भीतर की हो बीमारी।

अंतर्मन में छुपे राज को अब जान नहीं कोई पाया।
क्या फोटो क्या करें एक्स-रे प्रभु कैसी तेरी माया।

छल कपट मद लोभ भर गया घट घट विचारों में।
संयम शिष्टाचार घट रहे अब जनमन संस्कारों में।

सुंदर सजावट मनभावन आलीशान से ठाठ बाट।
आकर्षण में दुनिया डूबी दिखावे में डूबे राजपाट

चकाचौंध में भ्रमित हो रहे असलियत ना जान सके।
सत्य सादगी शालीनता को मानव नहीं पहचान सके।

कितना दोष भरा है भीतर बाहर वह नहीं दिखता है।
सुंदरता के आवरण में असली नकली भी बिकता है।

एक्स-रे सच का दर्पण है सच्चाई कड़वी होती है।
फोटो एक दिखावा दुनिया देख-देख कर रोती है।

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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