नारी की वेदनाएं

नारी की वेदनाएं

नारी की वेदनाएं नारी को हि बोझ अपना समझ रहे हो क्यों ?गर्भ में हि कोख से उसे हटा रहे हो क्यों ? निर्जन पथ पर बचा न पाती अस्मत नारी,नोच रहे क्यों दानव बनकर नर बलात्कारी | दासी मानकर चाहते हैं गुल्लामी उसकी,कन्या को पूज कर चाहते हैं कृपा भी उसकी | अशिक्षित हि…

छठ पूजा महापर्व

छठ पूजा महापर्व

छठ पूजा महापर्व आया पर्वो का पर्व महापर्व,छठी मैया की पूजा का पर्व।दशहरा दिवाली के बाद ,छठी पूजा है हमारा गर्व।। लोकगीतों से शुरू होता है,परंपराओं से जुड़ा हुआ है।है त्यौहार यह अलौकिक,मान्यताओं से घिरा हुआ है।। बड़ा अनोखा है इसका इतिहास,छठी पर्व की जिन्होंने किया शुरुआत।मंगल कार्य है यह पूजा,विशेष महत्व है इसे प्राप्त।।…

छठी

जय छठी माँ

जय छठी माँ कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में, आता पर्व महान,सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान. चार दिवस का पर्व अनोखा, युगों से चलती आई,सीता मैया, कर्ण और पांडव, साथ में कुंती माई. भक्ति भाव उमड़ पड़ता है, करते सब गुणगान,सब हैं करते तेरा ध्यान, मैया तूँ है दयानिधान. प्यारी बहना…

छठलोकगीत

हे सूरज देवा | छठलोकगीत

हे सूरज देवा पानी के पियासल तिरिया,जोहत बाटिन बांट हो,हे सूरज देवा,जल्दी जल्दी आवा हमरे घाट हो,हे सूरज देवा –2 रहम करा तीन दिन से,बाटी हम भूखल पियासल,बदरी में जाके काहे,करत हौआ लुकाछिपल,अब ना सतावा जल्दी हेन्हें आवा हो,हे सूरज देवा।जल्दी जल्दी आवा हमरे घाट होहे सूरज देवा—2। अबकी बरस हम कईले बानी छठ पूजा,बनउले…

किसी को भूलना | Kisi ko Bhulna

किसी को भूलना | Kisi ko Bhulna

किसी को भूलना ( Kisi ko bhulna ) कभी कभी की ज़रूरत को अहमियत न कहेंकिसी को भूलना तो जुर्म है सिफ़त न कहें कहेंगे ठीक तो ख़स्ता समझ ले कैसे कोईगुज़र है हश्र के जैसा तो ख़ैरियत न कहें अधूरा रब्त है सूखा हुआ ये फूल जनाबबड़ा सहेज के रक्खे हैं ख़्वाब, ख़त न…

धर्म कर्म में हो बदलाव

धर्म कर्म में हो बदलाव

धर्म कर्म में हो बदलाव धर्म , संस्कृति की सरल धारा में ,कर्म की क्षमता को भूल गए हैं । कुरीतियां , जहरीली हवा बहाकर ,कैसे सबको मानव धर्म में वापस लाएं । आंखों को बंद कर मन की ग्रंथि चोक हुई,आलोचक भी हथियार डाल चुके हैं । शुद्ध विचारों की गंभीरता पर हास्य आया…

दुध नी प्यांदे

पहाड़ी रचना | सुदेश दीक्षित

माह्णुआं दी पछैण जे करनी माह्णुआं दी पछैणतां न्यारिया वत्ता हंडणा सिख।जे पाणा तें आदर मान सारे यां ते।ता लोकां दा सुख दुःख वंडणा सिख।खरे खोटे मितरे बैरिये दा पता नि चलदा।सुप्पे साही फटाकेयां देई छंडणा सिख। ईह्यां नि जवानी ते जैह्र बुऴकणा।मोका दिक्खी सर्पे साहि डंगणा सिख। रूड़दे माह्णुए जो नि कोई बचांदा।डूब्बी तैरी…

भिक्षुकविधा

मैं हूं एक जग भिक्षुक

मैं हूं एक जग भिक्षुक मैं भिक्षुक हूं यारों बस, इस सारे जमाने का,कुछ नहीं है मेरे पास, लोगों को दिखाने का।। जरिया भी नहीं है मेरे पास रोटी कमाने का,साधन भी नहीं खुद को जग से मिटाने का।। मैं कोई गीत भी नहीं हूं जमाने के गुनगुनाने का,मैं सरगम भी नहीं हूं दीवाने के…

चक्र जो सत्य है

चक्र जो सत्य है

चक्र जो सत्य है कुछ भी अंतिम नहीं होता,न स्पर्श , न प्रकृति और न कविता ,बस दृष्टिकोण बदल जाता हैक्योंकि, चक्र जीवन , पवन , गुरुत्वाकर्षण काअनवरत सहयात्री बन धरा को थामे ,खड़ा है पंच तंत्र के केंद्र पर तन्हा,पूछताक्या मजहब पेड़ , पानी, धरा, पवन , आकाश का ,लिखा है किसी ने बस…

भैय्या दूज

यम द्वितीय ( भैय्या दूज )

यम द्वितीय यम द्वितीया कार्तिक मास के द्वितीया को मानते हैं,यह त्यौहार भाई-बहन के प्रेम-सौंदर्य को दर्शाते हैं।बहन अपना स्नेह भाई के प्रति अभिव्यक्ति करती हैं,ये त्योहार यम द्वितीय और भ्रातदूज कहाते हैं।। बहने अपने भाई के खुशहाली की कामना करती हैं,बहने सुबह-सुबह घर में भैयादूज का पूजन करती हैं।भाई की आयु वृद्धि व सर्व…