डॉ. बीना सिंह “रागी” की कविताएं | Dr. Beena Singh Raggi Poetry
मैं मां हूं कारी कारी बदरी सन सनन बहती हवा शीतल पुरवाई हूंहां साब मैं मां हूं हंसी-खुशी के संग संग दर्द और तन्हाई हूंनेह निमंत्रण देकर रिश्तों को बांधे रखा हमनेफर्ज समझ बोझ को अपने दोनों कांधे रखा हमनेजननी हूं धात्री हूं खुदा रब्बा गाड भगवन की परछाई हूंहां साबचंचल चपल दौड़ती भागती चिंता…