हम जीतेंगे...हम जरूर जीतेंगे

हर घर-घर में लगा तिरंगा

हर घर-घर में लगा तिरंगा हर घर-घर में लगा तिरंगा, डोले अपनी शान में, हर दिल-दिल में बसा तिरंगा, बोले अपने मान में, देखो लाज तुम्हारी हूँ मैं, रखना सदा ये ध्यान में, हर घर-घर में लगा तिरंगा, डोले अपनी शान में, भारत माँ का वसन हूँ मैं, ढँकता उसकी लाज, देशभक्त के साहस का,…

Desh Prem par Kavita

देश प्रेम | Kavita Desh Prem

देश प्रेम ( Desh Prem ) मां, ऐसी मुझे जवानी दे मर जाऊ, इस देश के खातिर, शाम सूबा ये, पानी दे मां ऐसी मुझे जवानी दे । नही चाहिये हल्दी, चंदन, तन को पीला करने को l देना है तो गर्व से मुझको,  तिलक धारा धूल बलिदानी दो l मां ऐसी मुझे जवानी दो…

स्त्री योद्धा होती है

स्त्री योद्धा होती है | Stree Yoddha Hoti hai

स्त्री योद्धा होती है ( Stree Yoddha Hoti hai ) खून पानी ही नहीं, अपनी रंगत भी देती है, माँ गर्भ धारण कर, खुशी का संगत देती है। नौ महीने का सफर आसान नहीं, हर बच्चे का ओर(गतिविधि) सामान नहीं। एक में करती बहुत उल्टी, तो दूसरे में खाती मिट्टी। चेहरे पर झाई(दाग), पक गये…

Vah Bharatmata

हमारा देश | Geet Hamara Desh

हमारा देश ( Hamara Desh ) है प्यार बहुत देश हमारा हिन्दुतान। है संस्कृति इसकी सबसे निराली। कितनी जाती धर्म के, लोग रहते यहाँ पर। सब को स्वत्रंता पूरी है, संविधान के अनुसार।। कितना प्यार देश है हमारा हिंदुस्तान। इसकी रक्षा करनी है आगे तुम सबको।। कितने बलिदानों के बाद मिली है आज़ादी। कितने वीर…

गाथाएँ बलिदानों की | Gathayen Balidano ki

गाथाएँ बलिदानों की | Gathayen Balidano ki

गाथाएँ बलिदानों की ( Gathayen balidano ki ) सुनो सुनाऊँ एक कहानी, मतवाले दीवानों की। प्रबल प्रेरणा स्त्रोत अनूठी, गाथाएँ बलिदानों की।… मंगल बिस्मिल भगत सिंह का, आजादी ही नारा था। नाना शेखर खुदीराम को, देश प्राण से प्यारा था।। हँसकर फाँसी चढ़े भगत जब, वो अनमोल जवानी थी। अंग्रेजों के अतिचारों की, रोकी सब…

Pakhi ki Rakhi

राखी | Kavita Rakhi

राखी ( Rakhi ) “धागा” तो इसका कच्चा सा होता है. मगर यह रिश्ता यह पक्का सा जोड़ता है। होता तो है यह कमजोर बहुत ही… सबसे ज्यादा मजबूती यही प्रदान करता है। भाई तो हर बहन का ही मान होता है. कभी दोस्त कभी पिता समान होता है. कभी हँसाता है, तो कभी रुला…

नए जगत की रीत निराली

नए जगत की रीत निराली | Kavita Naye Jagat ki Reet Nirali

नए जगत की रीत निराली ( Naye jagat ki reet nirali ) नए जगत की रीत निराली, सुनो आज तुम धरम ज़बानी, मौसम बदले,बदली कहानी, विष है मीठा, अमृत कुनैनी !! बीता बचपन, गई जवानी, बीत गई सब बात पुरानी, बुढ़ापे छलकी अब रवानी, आई बनकर नूतन कहानी !! कलयुग की है नई कहानी, उलटी…

Indian

हिन्दुस्तान को जगाओ | Kavita Hindustan ko Jagao

हिन्दुस्तान को जगाओ ( Hindustan ko Jagao ) हम कुम्भ की भाँति सो रहे हैं, बाहरी आकर हमें टटोल रहे हैं, हम खुशी का सपना देख रहे हैं, बाहरी कारोबार को बटोर रहे हैं, हम हिन्दू हिन्दी में खुश हो रहे हैं! बाहरी हिन्दुस्तान को लपेट रहे हैं। हम मात्र दो बच्चों में बस कर…

Kavita Kala Sanskriti

कला संस्कृति | Kavita Kala Sanskriti

कला संस्कृति ( Kala Sanskriti ) मेरे तेरे होने का कोई प्रणाम चाहिए। कला और संस्कृति का कोई आधार चाहिए। बिना आधार के क्या बचा पाएंगे संस्कृति को। जो हमारे पूर्वजो की बहुत बड़ी धरोहर है।। कला का संस्कृति पर बड़ा उपकार होता है। संस्कृति के चलते ही कला उदय होता है। दोनों के मिलन…

Priya Gupta

प्रिया गुप्ता की कविताएँ | Poems by Priya Gupta

शीतल रहे ये धरा ले पूजा की थाली मैया आया तेरे द्वार मैं नादान बालक मैया भक्ति करो स्वीकार l अक्षत, चना चुनरी चढ़ाऊ श्रीफल, नीम से तुझे मनाऊं स्वस्थ,शीतल रहे ये धारा ढोल मंजीरा आज बजाऊं l मां शीतला के दरबार में नमन करते है बारंबार भर दो सबकी झोली मैया आए जो तेरे…