किसी को भूलना | Kisi ko Bhulna
किसी को भूलना ( Kisi ko bhulna ) कभी कभी की ज़रूरत को अहमियत न कहेंकिसी को भूलना तो जुर्म है सिफ़त न कहें कहेंगे ठीक तो ख़स्ता समझ ले कैसे कोईगुज़र है हश्र के जैसा तो ख़ैरियत न कहें अधूरा रब्त है सूखा हुआ ये फूल जनाबबड़ा सहेज के रक्खे हैं ख़्वाब, ख़त न…