किसी को भूलना | Kisi ko Bhulna

किसी को भूलना | Kisi ko Bhulna

किसी को भूलना ( Kisi ko bhulna ) कभी कभी की ज़रूरत को अहमियत न कहेंकिसी को भूलना तो जुर्म है सिफ़त न कहें कहेंगे ठीक तो ख़स्ता समझ ले कैसे कोईगुज़र है हश्र के जैसा तो ख़ैरियत न कहें अधूरा रब्त है सूखा हुआ ये फूल जनाबबड़ा सहेज के रक्खे हैं ख़्वाब, ख़त न…

धर्म कर्म में हो बदलाव

धर्म कर्म में हो बदलाव

धर्म कर्म में हो बदलाव धर्म , संस्कृति की सरल धारा में ,कर्म की क्षमता को भूल गए हैं । कुरीतियां , जहरीली हवा बहाकर ,कैसे सबको मानव धर्म में वापस लाएं । आंखों को बंद कर मन की ग्रंथि चोक हुई,आलोचक भी हथियार डाल चुके हैं । शुद्ध विचारों की गंभीरता पर हास्य आया…

दुध नी प्यांदे

पहाड़ी रचना | सुदेश दीक्षित

माह्णुआं दी पछैण जे करनी माह्णुआं दी पछैणतां न्यारिया वत्ता हंडणा सिख।जे पाणा तें आदर मान सारे यां ते।ता लोकां दा सुख दुःख वंडणा सिख।खरे खोटे मितरे बैरिये दा पता नि चलदा।सुप्पे साही फटाकेयां देई छंडणा सिख। ईह्यां नि जवानी ते जैह्र बुऴकणा।मोका दिक्खी सर्पे साहि डंगणा सिख। रूड़दे माह्णुए जो नि कोई बचांदा।डूब्बी तैरी…

भिक्षुकविधा

मैं हूं एक जग भिक्षुक

मैं हूं एक जग भिक्षुक मैं भिक्षुक हूं यारों बस, इस सारे जमाने का,कुछ नहीं है मेरे पास, लोगों को दिखाने का।। जरिया भी नहीं है मेरे पास रोटी कमाने का,साधन भी नहीं खुद को जग से मिटाने का।। मैं कोई गीत भी नहीं हूं जमाने के गुनगुनाने का,मैं सरगम भी नहीं हूं दीवाने के…

चक्र जो सत्य है

चक्र जो सत्य है

चक्र जो सत्य है कुछ भी अंतिम नहीं होता,न स्पर्श , न प्रकृति और न कविता ,बस दृष्टिकोण बदल जाता हैक्योंकि, चक्र जीवन , पवन , गुरुत्वाकर्षण काअनवरत सहयात्री बन धरा को थामे ,खड़ा है पंच तंत्र के केंद्र पर तन्हा,पूछताक्या मजहब पेड़ , पानी, धरा, पवन , आकाश का ,लिखा है किसी ने बस…

भैय्या दूज

यम द्वितीय ( भैय्या दूज )

यम द्वितीय यम द्वितीया कार्तिक मास के द्वितीया को मानते हैं,यह त्यौहार भाई-बहन के प्रेम-सौंदर्य को दर्शाते हैं।बहन अपना स्नेह भाई के प्रति अभिव्यक्ति करती हैं,ये त्योहार यम द्वितीय और भ्रातदूज कहाते हैं।। बहने अपने भाई के खुशहाली की कामना करती हैं,बहने सुबह-सुबह घर में भैयादूज का पूजन करती हैं।भाई की आयु वृद्धि व सर्व…

Savita Hindi Poetry

सविता जी की कविताएँ | Savita Hindi Poetry

पुरानी तस्वीर कुछ तस्वीरें पुरानी सी है। बीते दिनों की आखिरी निशानी सी है। पुराने होकर भी कुछ किस्से पुराने नहीं लगते। अंजान होकर भी कुछ लोग अनजाने नहीं लगते। यूं तो अक्सर हम आगे बढ़ जाते हैं वक्त के साथ । फिर भी कुछ लम्हे वहीं ठहर जाते हैं अपनों के पास। कभी-कभी लगता…

तेरी शिकायत

तेरी शिकायत | Teri Shikayat

तेरी शिकायत ( Teri Shikayat ) तेरी मेहरबानी का किस्सा सबको सुनाया।अंधा समझ हाथ पकड़ तूने रास्ता दिखाया। अब तो तेरी शिकायत करें भी तो किससे।सबके दिलों में तुझे हमने ही बसाया। तू चाहे अब जितने सितम कर ले इस पर।सहता चल बस यही दिल को समझाया। हर बार दिखाते रहे तुम आईना हरेक को।हर…

गणपत लाल उदय की कविताएं | Ganpat Lal Uday Poetry

गणपत लाल उदय की कविताएं | Ganpat Lal Uday Poetry

अनमोल है मानव जीवन कभी फुर्सत मिले तो पढ़ लेना हमारी यह रचना,किस्मत पर कभी ना रोना सदा हॅंसते ही रहना।नही होता है पूर्ण कभी हर इन्सान का ये सपना,हो सके तो मेहनत की आदत डालते ही रहना।। धूप-छाॅंव, सर्दी-गर्मी और वर्षा में ख़्याल रखना,एक दूजे को सफ़ल देखकर जलन नही रखना।अनमोल है मानव जीवन…

दिवाली आई

दिवाली पर

दिवाली पर मिष्ठान की तश्तरीअब भरी ही रहती हैरंगोली भरी दहलीज़ भीअब सूनी ही रहती है रामा श्यामा करना हमेंअब बोझ लगने लगाबुजुर्गों का आशीर्वादअब बोर लगने लगा यह काल का प्रभाव है याभविष्य पतन की दिशावर्तमान का झूठा सुख याकल के समाज की दुर्दशा दिवाली महज़ त्यौहार नहींसंस्कृति मिलन का रुप हैजीवन को अचूक…