घर का बड़ा बेटा

घर का बड़ा बेटा | Ghar ka Bada Beta

घर का बड़ा बेटा आज टांग कर बैग,वह निकल गया कुछ दूर।घर की देख परेशानी,वह कमाने के लिए हुआ मजबूर। कभी था घर का राजा बेटा,आज हुआ वह नालायक।कमा के पैसा जो देता है,कहलाता है वह बेटा लायक। बहन की शादी करनी है,छोटा है अभी भाई।उसका भी अभी पढ़ना है,अब तो कमाना पड़ेगा भाई। बीमारी…

सपनों की तलाश | Sapno ki Talash

सपनों की तलाश | Sapno ki Talash

सपनों की तलाश ( Sapno Ki Talash ) हर गली, हर मोड़ पर तेरा नाम पुकारा,तेरे बिना ये जीवन, है अधूरा, है बेसहारा।सपनों की तलाश में हर दिन भटक जाता,तेरे बिना मेरा हर सपना टूटकर रह जाता। तेरी बातों की मिठास, हर लम्हा महकाए,तेरी यादों की गहराई, मेरे दिल को सहलाए।तेरी राहों की ओर हररोज़…

माँ से बना बचपन मेरा

माँ से बना बचपन मेरा

माँ से बना बचपन मेरा अजब निराला खेल बचपन का lदुनिया ने लिया पक्ष सक्षम का llबचपन ने लिया पक्ष माँ का lआज भी धुन माँ की लोरी की llसुनाओ , फिर से कहानी माँ की lमाँ से बना बचपन मेरा ll किसी ने पूँछा ” मुकद्दर ” क्या है ?मैं ने कहा मेरे पास…

सुदेश दीक्षित की कविताएं | Sudesh Dixit Poetry

सुदेश दीक्षित की कविताएं | Sudesh Dixit Poetry

चंद घड़ी के मेहमान तुम चंद घड़ी के यहां मेहमान होफिर भी बनते फिरते शैतान हो बताओ तो कब से हो गए इंसानलगते लोगों को अभी भी हैवान हो नहीं पहचान पाओगे चालों को तुमदुनिया में अभी भी तुम नादान हो फैसला कभी नहीं भी होता हक मेंउसके फैसले पर क्यों तुम हैरान हो बोलें…

कागा की कलम

कागा की कलम | Kaga ki Kalam

खोज जो खोजा वो पाया गोता मार गेहराई में ,सीपों में छुपे है मोती मिले गेहराई में ! बीते दिन जीवन के बेठे रहे किनारे पर ,जब ख़्याल आया खोजने का मिले गेहराई में ! कंगाल कोई नहीं सबके अंदर मोजूद माणक लाल ,डूबने का डर छलांग मारी मिले गेहराई में ! जान का ख़त़रा…

भगवान महावीर का 2594 वां दीक्षा कल्याणक दिवस

भगवान महावीर का 2594 वां दीक्षा कल्याणक दिवस

भगवान महावीर का 2594 वां दीक्षा कल्याणक दिवस यह उमर हमारी बीत रहीसत् संगत में रमकरज्ञानामृत का पान कर लेमहावीर प्रभु का गुणगान कर ले ।नाशवान है काया हमारीक्यों करे मेरी मेरी ।इस तन को राख बननेलगे न इक पल की देरी ।महावीर प्रभु का गुणगान कर ले ।सबके साथ लगा है भारी ,जन्म –…

T. S. Eliot

टी. एस. एलियट की अनुवादित कविता | अनुवादक- दीपक वोहरा

टी. एस. एलियट एक प्रमुख अंग्रेजी कवि, निबंधकार, नाटककार, और आलोचक थे, जिनका जन्म 26 सितंबर 1888 को सेंट लुइस, मिसौरी, अमेरिका में हुआ था। 25 साल की उम्र में इंग्लैंड चले गए और वहीं बस गए। उन्होंने 20वीं सदी के आधुनिक काव्य आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आंखें जिन्हें आखिरी बार देखा था आँसुओं…

याद न आये

याद न आये, बीते दिनों की

याद न आये, बीते दिनों की बैठी हूँ नील अम्बर के तलेअपनी स्मृतियों की चादर को ओढेजैसे हरी-भरी वादियों के नीचेएक मनमोहक घटा छा जाती हैमन में एक लहर-सी उठ जाती है।जैसे कोई नर्म घास के बिछौनों परकोई मन्द पवन गुजर जाती हैदेखकर प्रकृति नटी के इस रूप मेंबचपन में की गई शरारतेंफिर से आंखों…

शुभ कर्म | भजन

शुभ कर्म | भजन

शुभ कर्म ( Subh Karm ) मानव शुभ कर्म करें , गुणगान गायेंगे।देवत्व करम करें, देवता बन जायेंगे।।टेक।। सूरा जो पियेगा तो, सूअर बन जायेगा।शहद मीठा खायेगा ,स्वाद मीठा आयेगा।दर्पण में छाया हो, वही दिखलायेंगे।।1।। आग में हाथ डाले तो, जल ही जायेगा।सागर में जो गिरे, वह डूब ही जायेगा।कुआं में बोलोगे, वही बतलायेंगे।।2।। बिच्छू…

आंचल छांव भरा

आंचल छांव भरा | Aanchal Chhanv Bhara

आंचल छांव भरा ( Aanchal Chhanv Bhara ) हो गर साथ उसका तो तू क्या मिटा पायेगा।ख़ाक हो जाएगा तिरा अहम् तू निकल ना पायेगा। दर्द , ज़ख्म हैं पोटली में उठा और जिये जा।रिसते ज़ख्मों को भला कहां तू दिखा पायेगा। आंचल छांव भरा चला गया साथ मां के।ममता का साया तू अब कहां…