Jeevan Basant

मस्त मद में बसन्त-सन्त है सखी

मस्त मद में बसन्त-सन्त है सखी आ रहा बसंत बसंतपुर से सखी, मन मस्त जोशीले कसक में सखी, पुराने गमगीन पत्तों का यूँ गिरना! नये सुकून की खुशली है सखी। मधुर मधुर हवा मंद-मंद ठण्डक, गुलाबी मौसम, बॉंधती गण्डक, लुभावन दिन और शीतल रात सखी, नये सुकून की उल्लास है सखी । होली सी रंग-बिरंगी…

Abha Gupta Poetry

आभा गुप्ता की कविताएं | Abha Gupta Poetry

फागुन का अंदाज निराला हरा, गुलाबी, पीला काला,कान्हा सँग रँग गई बृजबाला,मन यौवन खिल उठे हैं दोनों,फागुन का अंदाज निराला, बिन काजल अँखियाँ कजरारी,ढूँढे राधा के नैन बिहारी,भांग छान घूमें मतवाला,मले गुलाल मारे पिचकारी, देखो भर-भर पी रहे सारे,मधुमासी मौसम का प्याला,मन का उजला तन का कालाफागुन का अंदाज निराला, प्रेम प्यार सुख चैन की…

मां शारदे

वंदन माता शारदे

वंदन माता शारदे प्रफुल्ल ज्ञानरूपिणी, प्रवीण मातु शारदे।विधायिनी सुवादिनी, सरस्वती उबार दे।। निरंजना प्रभामयी, महाश्रया सुवासिनी।सुपूजितां महाभुजा, मनोरमा सुभाषिनी।।करें प्रणाम श्रीप्रदा, प्रबुद्ध भारती सदा।उतारते प्रियंवदा, सुजान आरती सदा।।सुबोध माँ प्रशासनी, सुभक्ति माँ अपार दे। अकूत शास्त्ररूपिणी, करो कृपा महाफला।अनंत प्रेम दायिनी, सुहासिनी महाबला।।नमो दयालु शारदे, स्वयंप्रभा दिवाकरी।प्रशस्त मातु पंथ भी,सुखारिणी सु-अंबरी।।पयोधि ज्ञान दायिनी, नमामि माँ…

Dr. Chander Datt  Sharma Poetry

डॉ. चंद्र दत्त शर्मा की कविताएं | Dr. Chander Datt  Sharma Poetry

कुत्ता (हरियाणवी लघुकविता) जो म्हारे बारण बैठा करदाइसी हवा फिरीइब बड़्डी कारां मैं बैठण लाग्या,मैं गया नेता के घर आपणा मान कैथा मेरा वो जाणकार,अर शहर जाकै पा ग्या ख्याति,सोच्चा इंटरव्यू खातर मिल ल्यूं,जिब गया कोठी पै दरवाजे पै लिक्खा था..अन्दर खूंखार कुत्ता सै,न्यूं पढकै मैं उल्टा बोहड़ लिया। पाटड़ा जो होवै सै घणे काम…

Dr. Sunita Sharma Sudha

डॉ. सुनीता सिंह ‘सुधा’ की रचनाएँ | Dr. Sunita Singh Sudha Poetry

तुम साँसों में बसते हो दूर बहुत होकर भी तुममुझे पास में लगते हो ।कैसे तुमको हम भूलेतुम साँसों में बसते हो । हर घड़ी ख्याल तेरा हीमुझको तो बस रहता है ।तू ही तो सच्चा अपनादिल मेरा यह कहता है ।सुबह शाम इस तन-मन मेंदीपक- सा तुम जलते हो ।दूर बहुत होकर भी तुममुझे…

मॉं शारदे

मॉं शारदे, विद्या, विवेक मान दो

मॉं शारदे, विद्या, विवेक मान दो माँ शारदे, विद्या विवेक मान दो,मुझे सुर साम्राज्ञी जैसी तान दो।मेरा वाचन दिव्यमयी हितकारी हो,माँ शारदे, ब्रह्माणी ये वरदान दो।टेक। मेरे सिर-माथे वरद हस्त रख दो,सुमन शब्द-अक्षर ज्ञान-मख दो।प्रतिभा स्वयं,पर अल्पज्ञ मूरख हूँमाँ-कल्याणकारी शुभम कर दो ।पूजा अर्चन करूॅ तेरी आराधना,नारियाँ हों सशक्त,स्वाभिमान दो।माँ शारदे विद्या विवेक मान दो,मुझे…

मां सरस्वती

श्रुत स्तुति | सरस्वती वंदना

श्रुत स्तुति ( सरस्वती वंदना ) वीतरागी सर्वज्ञ और हितोपदेशी जो तीर्थंकर हैं,अष्ट कर्मों और अठारह दोषों से रहित जिनेश्वर हैं,अनंत चतुष्टय के धारी हैं अनंत कैवल्य ज्ञानी हैं,ऐसे त्रिकालदर्शी जिनमुख से झरती वाणी श्रेयस्कर है!! सरस्वती कहो या श्रुतमाता एक दूजे के पर्याय कहाएं,जैन धर्म में देव शास्त्र गुरु भव्य जनों को मोक्षमार्ग दिखाएं…

Avnish Kumar Gupta Poetry

अवनीश कुमार गुप्ता ‘निर्द्वंद’ की कविताएं | Avnish Kumar Gupta Poetry

बसंत वंदना सरस्वती माँ, ज्ञान की दाता,बसंत में खिले फूलों की माला। वीणा तुम्हारी, स्वरों का सागर,मन को करे निर्मल, मति को अगर। श्वेत वस्त्र में, शुभ्र कमल सी,सबके मन में ज्ञान ज्योति जगी। बसंत पंचमी, ऋतुओं की रानी,तुम्हारी कृपा से बुद्धि हो ज्ञानी। विद्या की देवी, सबकी आशा,तुम्हारे बिना जीवन है व्यर्थ। कलम की…

संजीव सलिल की कविताएं

संजीव सलिल की कविताएं | Sanjeev Salil Poetry

दोहा सलिला .दश रथ हैं दस इंद्रियाँ, दस दिश नापें घूम।नौ दु्र्गा नौ शक्तियाँ, सकें सफलता चूम।।.अष्ट भुजा सामर्थ्य की, परिचायक बलवान।सप्त स्वरों से सृजित हों, सरगम-स्वर रस-खान ।।.षड् रागों को सीखना, खटरागी है काम।पंच तत्व मय देह से, करें काम निष्काम।।.वर्णाश्रम पुरुषार्थ युग, चार मिटा अविचार।तीन काल संघर्ष कर, जयी करें सुविचार।।.तन-मन नर-नारी सतत,…

गिरे आंखों से आंसु तो क्या

गिरे आंखों से आंसु तो क्या

गिरे आंखों से आंसु तो क्या गिरे आंखों से आंसु तो क्या ,नहीं मिले गले उनके तो क्या ,तराने लिखने मिले थे दो डगर,नहीं लिख सके मिलन गीत तो क्या ,गिरे आंख से आंसू तो क्या …..सभी कदम तरंग की धुन में ,कोई सुने कुछ कोई कुछ मन में ,मिलाते रहे बिंदुओं को रेख में,जिन्हें…