बंजारा की नौ नवेली कविताएँ
गली (एक)
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एक
जुलाहे ने बुनी थी
दूसरी
यह ---
ईट-गारे
और घर-आंगन से बनी है .
यह भी
मैली है
नुक्कड़ तक फैली है
फटी है
और सड़कों से कटी है .
इसमें भी
रंगों-से रिश्ते...
ख्वाहिशें | Kavita Khwahishen
ख्वाहिशें
( Khwahishen )
ख्वाहिशों को जरूरत न बनाइये अपनी
बन भी जाए अगर, तो उसे कभी अपनी
लत न होने दीजिये, हो भि जाए लत यदि
तो...
परीक्षा का डर कैसा | Kavita Pariksha ka Dar
परीक्षा का डर कैसा
लो परीक्षाएं आ गई सर पर अब कर लो तैयारी।
देने हैं पेपर हमको प्रश्नों की झड़ियां बरसे भारी।
घबराहट कैसी संकोच छोड़े...
कोई नेक | Kavita Koi Nek
कोई नेक
( Koi Nek )
कमी निकाले जो काम मे, करे सुधार की बात
समझिये बना रहा वह आपको, देगा भी वही साथ
मिलते सलाहकार बहुत,...
जागो जनता जागो | Kavita Jaago Janta Jaago
जागो जनता जागो!
( Jaago janta jaago)
घंटों इंतजार क्यों करते हैं?
सर्दी गर्मी बारिश सहते हैं
पलकें बिछाए रहते हैं
आप जनता मालिक हैं।
लूटने वाले का जयकारा
लुटने वाले...
निर्माणकर्ता अक्सर
निर्माणकर्ता अक्सर
अक्सर निर्माणकर्ता ,
हांसिए पर छूट जाता है,
लंका पर पुल बनाने वाले,
नल नील आज भी,
बंदर कहलाते हैं।
आतताई रावण से,
लोहा लेने वाला जटायु,
आज भी गिद्ध...
सांप तुम सभ्य कब हुए
सांप तुम सभ्य कब हुए
सांप
तुम सभ्य कब हुए
तुम विश्वास दिलाते हो
मेरी विष थैली में अब भरा हुआ है अमृत
दंश करना छोड़ दिया है मैंने
लोग...
सबको ही बहलाती कुर्सी | Poem in Hindi on Kursi
सबको ही बहलाती कुर्सी
सबको ही बहलाती कुर्सी
अपना रंग दिखाती कुर्सी
दौड़ रहे हैं मंदिर-मस्जिद
कसरत खूब कराती कुर्सी
ख्वाबों में आ-आ ललचाऐ
आपस में लड़वाती कुर्सी
पैसे से है...
बंजारा के दस कविताएं
1
प्रवाह
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सोचता हूं
कि दुनिया की सारी बारूद मिट्टी बन जाये
और मैं
मिट्टी के गमलों में बीज रोप दूं
विष उगलती मशीनगनों को प्रेम की विरासत सौप दूं...
डॉ.भीमराव अम्बेडकर जयंती
डॉ.भीमराव अम्बेडकर जयंती
( 2 )
चौदह अप्रेल अम्बेडकर जयंती है जशन मनायें
संविधान निर्माता की जयंती है जशन मनायेंअभावों में जीवन बसर कर आगे बढ़े
पग...