शक | Shak

शक | Shak

और दिनों से थोड़ा अलग आज कृति काॅलेज से आती हुई थोड़ा ज़्यादा की ख़ुश नज़र आ रही थी । घर आकर उसने अपना बैग रखा ही था कि तभी उसकी माँ अमिता की नज़र उसके मुस्कुराते हुए चेहरे और कलाई पर बंधी घड़ी पर पड़ी । अमिता ने अचानक से उसका हाथ पकड़ लिया…

लघुकथा “गेटआऊट ” | Get Out

लघुकथा “गेटआऊट ” | Get Out

उसकी कॉलबेल बजी। एक नहीं , कई बार। बदन पर एक शॉल डाली और वह सशंकित मन गेट की ओर बढ़ी। आख़िर कौन हो सकता है इस ठिठुरते हुए ओले से बूंदा -बांदी के बीच। युवा अनछुए बदन में सिहरन -सी हुई। दरवाजा खुलते ही वह अन्दर सेहन में आ खड़ा हुआ। खूबसूरत, शालीन मगर…

श्राद्ध | Shraddh

श्राद्ध | Shraddh

“हेलो पण्डित जी प्रणाम!…… मैं श्यामलाल जी का बेटा प्रकाश बोल रहा हूं, आयुष्मान भव बेटा!….. कहो कैसे याद किया आज सुबह सुबह। जी पण्डित दरअसल बात ये है कि हमारे पिताजी का स्वर्गवास हुए एक साल हो गए हैं और उनका श्राद्ध का कार्यक्रम हम धूमधाम से मना रहे हैं जिसमें मैंने नाते रिश्तेदारों…

पिकनिक | Picnic Laghu Katha

पिकनिक | Picnic Laghu Katha

रोज की तरह सुबह उठकर स्कूल जाने के बदले मैं गहरी नींद में सोया था। उठकर भी क्या करता आज तो सभी बच्चे पिकनिक जो जा रहे थे। तभी माँ ने आकर मुझे उठाया और कहा चिंटू उठ जा पिकनिक जाना है ना! मैं एक झटके में उठ कर बैठ गया और माँ से पूछा…

हमसफ़र | Laghu Katha Humsafar

हमसफ़र | Laghu Katha Humsafar

अक्सर हम यही सोचते रहते है कि यार हमसफ़र ऐसा होना चाहिए, वैसा होना चाहिए।लेकिन कभी ये नहीं सोचते कि जो हमारे लिए हम जैसा हो उसके लिए हम भी वैसे हो पाएंगे क्या? नहीं ना? तो फिर उम्मीद बस एक से ही क्यूं?हम खुद को भी तो उसके हिसाब से ढालने का प्रयास कर…

हिस्से की शय | Laghu Katha Hisse ki Shay

हिस्से की शय | Laghu Katha Hisse ki Shay

वे तीन भाई थे। मझले पक्के शराबी और जिद्दी। छोटे वाले स्नातक और अपने कर्मों के भरोसेमंद । सबसे बड़े अध्यापक , पक्के कर्मकांडी, मगर बेहद चालाक। बड़े ने विधवा माँ को बहला – फुसला कर बचे – खुचे बाप के धन पर हाथ साफ कर लिया। माँ के तेरहवें में सम्मिलित न होते हुए…

जोकर | Laghu Katha Joker

जोकर | Laghu Katha Joker

भीड़ खचाखच थी। रंगमंच आधुनिक रंगों से सज़ा था। गांधी पर ‘ शो’ चल रहा था लेकिन बहुत अधिक मनभावन दृश्य न होने से घंटे भर में ही लोग झपबकाने लगे। उसने इसलिए नहीं कि श्रोताओं को मानसिक संतुष्टि नहीं मिल रही थी बल्कि कुछ के सोने का समय हो रहा था और कुछ टकटकी…

Prem ki Kahani

बूंद जो सागर से जा मिली | Prem ki Kahani

सायंकल का वक्त गोधूलि बेला में सूरज की लालिमा वातावरण में मिलकर चलने की तैयारी में है। फूलों की सुगंधों से चारों ओर का माहौल मदमस्त हो रहा है। ऐसे में पवन देव ने भी कृपा की मंद मंद मधुर हवाएं चलने लगी तो साथ ही वर्षा की टप टप करती बूंदे भी पड़ने लगी…

फर्स्ट नाईट | First Night

फर्स्ट नाईट | First Night

फर्स्ट नाईट सुनने में ही कितना रोमेंटिक शब्द लगता है। रोमांस की अनुभूति से भरा हुआ । लेकिन सभी फर्स्ट नाईट रोमांटिक नहीं होती! यह कहानी है सुनिल नाम के नौजवान की पौने 6 फुट का हष्ट पुष्ट बन्दा। एक विवाहित पुरुष दो बच्चों का पिता। एक बार देखने में तो कोई भी धोखा खा…

अंतिम चांस | Antim Chance

अंतिम चांस | Antim Chance

वैसे उन्हें गुरु जी कहते थे। कहें भी क्यों नहीं जो उन्ही के ही मार्गदर्शन में तो कई उच्च अधिकारी बन गए थे । परंतु भाग्य की विडंबना कहे या कर्मों का फल जो कुछ भी कह लें कई बार तो एक नंबरों से ऐसे लुढ़क पड़ते थे जैसे कोई पहाड़ी से फिसल गया हो।…