जानते हैं | Ghazal Jante Hain

जानते हैं | Ghazal Jante Hain

जानते हैं ( Jante Hain ) वो रहते कहाँ हैं पता जानते हैं । कि उनकी सभी हम अदा जानते हैं ।।१ लगा जो अभी रोग दिल को हमारे ।। न मिलती है इसकी दवा जानते हैं ।।२ मनाएं उन्हें हम भला आज कैसे । जिन्हें आज अपना खुदा जानते हैं ।।३ मिटेगा नहीं ये…

है इबादत मुहब्बत

है इबादत मुहब्बत | Hai Ibadat Muhabbat

है इबादत मुहब्बत ( Hai Ibadat Muhabbat ) है इबादत मुहब्बत, मुहब्बत करें शहर में क्यों किसी से अदावत करें मुल्क पर राज करना अलग बात है हो सके तो दिलों पर हुकूमत करें आँच आने न देंगें वतन पर कभी मिल के हम नेकियों की हिदायत करें दोस्तों से कहो आज फिर मुल्क के…

दिखती नहीं | Ghazal Dikhti Nahi

दिखती नहीं | Ghazal Dikhti Nahi

दिखती नहीं ( Ghazal Dikhti Nahi )   ग़ालिबन उनके महल से झोपड़ी दिखती नहीं I इसलिए उनको शहर की मुफ़लिसी दिखती नहीं II लाज़िमी शिकवे शिकायत, ग़ौर तो फरमा ज़रा I आख़िरश उनकी तुम्हे क्यों बेबसी दिखती नहीं I पेट ख़ाली शख्त जेबें पैरहन पैबंद तर I फिर उसे संसार में कुछ दिलकशी दिखती…

Ghazal Shikayat na Shikwa

शिकायत न शिकवा | Ghazal Shikayat na Shikwa

शिकायत न शिकवा ( Shikayat na Shikwa ) चलो अब रहा तुम से वादा हमारा, पलटकर ना तुमको देखेंगे दोबारा ! मुसीबत में डाले खुदी को खुद से, दिखाया मुहब्बत ने कैसा नज़ारा ! टूटे है कहाँ से कैसे हम बताये, हुआ कैसा दिल का ख़सारा ख़सारा ! नहीं है शिकायत न शिकवा किसी से,…

हज़ल | Hazl

हज़ल | Hazl

इलेक्शन पास जबसे इलेक्शन है आने लगे तबसे नेताजी सर्कस दिखाने लगे ये है बापू का गुलशन यहां पर मगर डाकु, गुंडे हुकुमत चलाने लगे जबसे महंगी हुई है विदेशी शराब देसी दारू वो पीने पिलाने लगे मारना मच्छरों का जिन्हें पाप है रोज़ मुर्गा,मटन वो भी खाने लगे नौकरी रिटायर हम जो हुए घर…

Ghazal Phir koi Khwab

फिर कोई ख़्वाब | Ghazal Phir koi Khwab

फिर कोई ख़्वाब ( Phir koi Khwab )   फिर कोई ख़्वाब निगाहों मे बसाने आजा फिर मेरे घर को करीने से सजाने आजा एक मुद्दत से तरसता हूँ तेरी सूरत को ग़मज़दा हूँ मुझे तस्कीन दिलाने आजा तुझको लेकर हैं परेशाँ ये दर-ओ-दीवारें अपना हमराज़ इन्हें फिर से बनाने आजा जिसको सुनते ही ग़म-ए-दिल…

लुगाई मिलेगी

चुनावी वादे | लुगाई मिलेगी

लुगाई मिलेगी ( Lugai Milegi ) चुनावी समर में मलाई मिलेगी, कुंवारे जनों को लुगाई मिलेगी ! करा दी मुनादी नेता जी ने घर घर, बूढ़ों को भी सहरा सजाई मिलेगी ! जिताकर हमे जो दिलाएगा कुर्सी, लगी घर में लाइन सगाई मिलेगी ! दुखी है जो घर में भी बेगम सगी से, पड़ोसन हसीं…

Ghazal Chahiye

चाहिए | Ghazal Chahiye

चाहिए ( Chahiye )   जब से दिल धड़का है वो गुलफ़ाम तबसे चाहिए एक बस हां एक ही वो शख़्स रब से चाहिए। मेरी ज़िद है वो निगाहों से समझ ले बात सब उस दिवाने को मगर इज़हार लब से चाहिए। भर ले तू परवाज़ लेकिन क़ैद होना है तुझे बस बता बांहों की…

Ghazal Zindagi Badrang Hai

ज़िंदगी बदरंग है | Ghazal Zindagi Badrang Hai

ज़िंदगी बदरंग है ( Zindagi Badrang Hai )   नफ़रतों से प्यार की अब जंग है हर ख़ुशी से ज़िंदगी बदरंग है अंजुमन में कुछ हुआ ऐसा यहाँ देखके ही रह गया दिल दंग है ख़ाक कर दे दुश्मनों को ए ख़ुदा कर रहा जो मुफलिसों को तंग है अंजुमन में कर रहा वो फ़ासिला…

Ghazal Sanam ka Haal

सनम का हाल | Ghazal Sanam ka Haal

सनम का हाल ( Sanam ka Haal ) बह्र : बहरे हज़ज मुसद्दस सालिम अरकान: मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मात्रा भार : 1222 1222 1222   हसीं चेहरा गुलाबी गाल अच्छा है, हाथों तूने लिया रुमाल अच्छा है ! मचलती इस जवानी पर खिला यौवन, तेरी जुल्फों का बिखरा हाल अच्छा है ! मेरे जैसे दिवाने…