ज़िंदा तो हैं मगर
ज़िंदा तो हैं मगर ख़ुद की नज़र लगी है अपनी ही ज़िन्दगी कोज़िंदा तो हैं मगर हम तरसा किये ख़ुशी को महफूज़ ज़िन्दगानी घर में भी अब नहीं हैपायेगा भूल कैसे इंसान इस सदी को कैसी वबा जहाँ में आयी है दोस्तों अबहालात-ए-हाजरा में भूले हैं हम सभी को हमदर्द है न कोई ये कैसी…