मातृत्व की साक्षात मूर्ति : कस्तूरबा गांधी

मातृत्व की साक्षात मूर्ति : कस्तूरबा गांधी

दुनिया में जो इतने दुख बढ़ गए हैं उसे मां के मातृत्व भरे आंचल में ही शांति प्राप्त हो सकती है । कोई भी व्यक्ति कितना भी महान क्यों ना हो वह मां के उपकारों का बदला नहीं चुका सकता। महात्मा गांधी की महानता के पीछे मां पुतलीबाई का जितना बड़ा योगदान है उससे कम…

प्रयाग के गौरव : पंडित रमादत्त शुक्ल

प्रयाग के गौरव : पंडित रमादत्त शुक्ल

प्रयाग की धरती बड़ी पुण्य शीला है। यहां अनेको ऐसी महान विभूतियां हुए हैं जिनका जन्म यहां तो नहीं हुआ परंतु जब वह प्रयागराज की भूमि पर आए तो यही के होकर रह गए। महाप्राण निराला एवं पंडित रमादत्त शुक्ल ऐसी ही दिव्य महापुरुष है । जिससे प्रयागराज के गौरव की ही वृद्धि होती है…

सांस्कृतिक चेतना के उद्घारक : आचार्य रामचंद्र शुक्ल

सांस्कृतिक चेतना के उद्घारक : आचार्य रामचंद्र शुक्ल

एक ऐसा अजेय लेखक जिसके नाम से एक युग की शुरुआत होती है वे थे आचार्य रामचंद्र शुक्ल । वे हिंदी साहित्य के ऐसे स्तंभ पुरुष थे कि जिसको लांघकर निकल जाना किसी के बस की बात नहीं थी। उनके द्वारा लिखित हिंदी साहित्य का इतिहास आज तक भी कोई दूसरा नहीं लिख सका है…

महात्मा , बापू, राष्ट्रपिता या फिर : महात्मा गांधी

महात्मा , बापू, राष्ट्रपिता या फिर : महात्मा गांधी

कहते हैं महान लोगों से भी कभी कभी गलतियां भी महान हीं हुआ करती हैं। ऐसे ही महान गलतियों का दंस देश आज भी भुगत रहा है। ऐसे ही महान गलतियों के पर्याय थे -राष्ट्रपिता महात्मा गांधी। महात्मा गांधी जी के योगदान को कभी यह देश भुला नहीं सकता परंतु उन्होंने कुछ ऐसी राष्ट्रीय निर्णय…

सादगी के प्रतिमूर्ति : लाल बहादुर शास्त्री

सादगी के प्रतिमूर्ति : लाल बहादुर शास्त्री

सादा जीवन -उच्च विचार का नारा तो बहुतों ने दिया परंतु यदि किसी के जीवन में प्रत्यक्ष दर्शन करना चाहते हैं तो वे महान आत्मा थे लाल बहादुर शास्त्री जी । प्रधानमंत्री जैसे सर्वोच्च पदों पर पहुंचने के बाद भी उनकी सादगी वैसे ही रहीं जैसे बचपन में थी । उन्होंने जो कहा उसे सर्वप्रथम…

भेड़ चाल | Bhed Chaal

भेड़ चाल | Bhed Chaal

जब किसी भेड़ को नदी पार कराना होता है तो भेड़ी का मालिक एक भेड़ को नदी में फेंक देता है। उसकी देखा देखी सभी भेड़िया नदी में कूदने लगतीं हैं वह यह नहीं देखती हैं कि उससे हमारा हित है या अहित। ऐसा ही कुछ भेड़ चाल हिंदुओं के द्वारा मजार दरगाह आदि की…

 यह कैसी भक्ति है? | Yah Kaisi Bhakti hai

 यह कैसी भक्ति है? | Yah Kaisi Bhakti hai

15 फीट लंबा दैत्य (राक्षस) बनाते हैं और उसके ऊपर 10 फीट बड़े गणेश जी को खड़ा करते हैं! यह कहाँ तक की समझदारी है। क्या आपको पता नहीं है इस 25 फीट की प्रतिमा को विसर्जित करने के लिए कितना पानी और समय लगने वाला है? एक मूर्तिकार बड़ी मेहनत और लगन से मूर्ति…

स्वयंसेवको के आदर्श : दीनदयाल उपाध्याय

स्वयंसेवको के आदर्श : दीनदयाल उपाध्याय

स्वयंसेवक वह जो अपने समस्त कर्तव्यों को करते हुए राष्ट्र की बलिबेदी पर न्योछावर हो जाए। सच्चा स्वयंसेवक किसी के ऊपर भार नहीं बनता बल्कि वह छोटे से छोटा काम भी स्वयं ही करता है। स्वयंसेवक वह हीरा है जिसकी चमक की धार कभी कम नहीं पड़ती। डॉक्टर हेडगेवार एवं गुरु जी ने जो स्वयंसेवकों…

आरक्षण : एक अभिशाप या वरदान

आरक्षण : एक अभिशाप या वरदान

आजकल आरक्षण का मुद्दा काफी उठ रहा है । कुछ का कहना है कि इसके वजह से देश में काबिलियत की कमी आ रही है तो कुछ का कहना है आरक्षण की वजह से शोषित वर्ग को ऊपर उठने का मौका मिल रहा है। अभी हाल ही में हमारे पड़ोस में रहने वाले मिश्रा जी…

आध्यात्मिक साम्यवाद के जनक : पं. श्रीराम शर्मा आचार्य

आध्यात्मिक साम्यवाद के जनक : पं. श्रीराम शर्मा आचार्य

मध्यकालीन इतिहास को देखने से यही प्रतीत होता है कि उस समय पूजी मात्र कुछ व्यक्तियों के कब्जे में थी । जिससे सामान्य जनता का शोषण होता रहा । जनता मिल मालिकों एवं सेठ साहूकारों की कृपा पर जीवित रहते थे। उनका उत्पादन में कोई हिस्सा नहीं होता था । कोल्हू के बैल की तरह…