ग़ज़ल | Ghazal par Ghazal
ग़ज़ल ( Ghazal ) सिंहासन से हिली ग़ज़ल । कल जुलूस में मिली ग़ज़ल ।। पेरोकार गरीबों की । जगह-जगह से सिली ग़ज़ल ।। गुमी याद के जंगल में । टुकड़ा-टुकड़ा मिली ग़ज़ल ।। घिसते – घिसते ही होगी । चमकदार झिलमिली ग़ज़ल ।। उहापोह से जब निकली । दिखी…
ग़ज़ल ( Ghazal ) सिंहासन से हिली ग़ज़ल । कल जुलूस में मिली ग़ज़ल ।। पेरोकार गरीबों की । जगह-जगह से सिली ग़ज़ल ।। गुमी याद के जंगल में । टुकड़ा-टुकड़ा मिली ग़ज़ल ।। घिसते – घिसते ही होगी । चमकदार झिलमिली ग़ज़ल ।। उहापोह से जब निकली । दिखी…
यारों ढ़लतें इस मौसम ए बेरुख़ी के बाद भी ( Yaron dhalte is mausam -e -berukhi ke baad bhi ) यारों ढ़लतें इस मौसम ए बेरुख़ी के बाद भी फूल महके है इस देखो शबनमी के बाद भी दुश्मनी दिल से निभायी दोस्ती को तोड़कर वो मिला आकर मुझे है दुश्मनी के…
दीवार खड़ी हो गयी ( Deewar khadi ho gayi ) उतरेगा वो फलक से सबकी नज़र रही। उम्मीद वस्ल-ए-खास की अक्सर जब़र रही। कहने को तुम सही थे हम भी कहां गलत, दीवार खड़ी हो गयी गलती मगर रही।। शीशे ने टूटने की जिद ठान ली आखिर, उस पर वफा हमारी तो बेअसर रही।।…
परेशाँ ही इसलिए ये दिमाग़ है मेरा ( Pareshan hi isliye ye dimag hai mera ) परेशाँ ही इसलिए ये दिमाग़ है मेरा ख़ुशी के पल जिंदगी सें फराग़ है मेरा भुलानें को कैसे पीऊं शराब ए यारों कहीं खोया देखिए वो अयाग़ है मेरा अंधेरे है ग़म भरे ही नसीब…
दिल ने पुकारा तुमको ( Dil ne pukara tumko ) प्यार भरी धड़कनों ने किया खूब इशारा तुमको दिल की आवाज है यह दिल ने पुकारा तुमको आ जाओ आज उतरकर महलों में रहने वाली मुंतजिर तेरा हूं कब से मेरे मन ने पुकारा तुमको सिंधु की लहरें मन में उठती पावन…
सुनिए सब आपके रु- ब -रु है ग़ज़ल ( Suniye sab aap ke ru-ba-ru hai ghazal ) सुनिए सब आपके रु ब रु है ग़ज़ल होठों पे प्यार की ही शुरु है ग़ज़ल जो सकूं दें टूटे दिल को मेरे बहुत कर रहा हूँ ऐसी जुस्तजू है ग़ज़ल आरजू है मिलनें…
ग़मो का मिला वो ख़िताब है ( Gamo ka mila wo khitab hai ) हाँ यार ग़मो का मिला वो ख़िताब है अब जीस्त में मिली ख़ुशी मुझको ज़नाब है देखते वो करेगा मगर कब क़बूल वो दें आया प्यार का ही उसे मैं गुलाब है कैसे भूलूँ मगर याद उसकी…
उठ रही ख़ुशबू फ़ूलों से ख़ूब है ( Uth rahi khushboo phoolon se khoob hai ) उठ रही ख़ुशबू फ़ूलों से ख़ूब है बस रहा कोई सांसों में ख़ूब है देखते है कर लिए उसपे यकीं धोखा उसके हर वादों में ख़ूब है किस तरह मिलनें उसी से मैं जाऊं हाँ लगा…
मुझे अच्छाई का रास्ता दिखाता है! ( Mujhe acchai ka rasta dikhata hai ) मुझे अच्छाई का रास्ता दिखाता है! जमीर मेरा मुझे आइना दिखाता है कभी पूरे जो नहीं पायेगे जीवन में ही निगाहों में ख़्वाब ऐसे नया दिखाता है झूठा है दिल वो बड़ा मगर अपने यारों मगर मुझे…
तुम अजीज हो ( Tum aziz ho ) तुम अजीज हो खास हमारे एहसास हो गया दूर होकर भी हो पास हमारे विश्वास हो गया अल्फाज आपके दिला देते हैं एहसास आपका शब्दों का जादू ऐसा की मन का उजास हो गया यह फासले यह दूरियां अब बाधक नहीं है यार…