गजल लिख रहा है
गजल लिख रहा है जिसकी माचिस से घर जल रहा है, वो उसी पर गज़ल लिख रहा है।। आपके आने का ये असर है, झोपड़ी को महल कह रहा है।। अच्छी लगती नही बेरुखी अब, मैं नहीं मेरा दिल कह रहा है।। शेष क्या हो गया है उसे अब, लब को…
गजल लिख रहा है जिसकी माचिस से घर जल रहा है, वो उसी पर गज़ल लिख रहा है।। आपके आने का ये असर है, झोपड़ी को महल कह रहा है।। अच्छी लगती नही बेरुखी अब, मैं नहीं मेरा दिल कह रहा है।। शेष क्या हो गया है उसे अब, लब को…
आज उसकी चले हम गली छोड़कर आज उसकी चले हम गली छोड़कर नफ़रतें उसकी वो दोस्ती छोड़कर चैन दिल को मिलेगी बहुत तेरे ही देख तू दोस्त ये मयकशी छोड़कर दोस्ती प्यार का होगा अहसास वो देख दिल से अपनें दुश्मनी छोड़कर प्यार के गुल उगाये आंगन में हमने दीवारें…
मुश्किलों का न डर फिर रहेगा यहां मुश्किलों का न डर फिर रहेगा यहां।। सामना होश से ग़र करेगा यहां।। चैन पाते नहीं जिंदगी में कभी। वैर जिनके दिलों में पलेगा यहां।। मौज बेशक मना लो भले लूट से। ज़र न ज्यादा दिनों वो टिकेगा यहां।। दिल कभी भी किसी का…
नहीं फूलों भरा आंगन रहा है नहीं फूलों भरा आंगन रहा है यहां सूखा यारों सावन रहा है ख़ुशी के फूलों से दामन भरा कब ग़मों से ही भरा दामन रहा है मिली मंजिल नहीं राहें वफ़ा की परेशां हर घड़ी बस मन रहा है खिले खुशियों कें जीवन में…
नज़र का तीर जब निकला यहां तेरी कमानी से नज़र का तीर जब निकला यहां तेरी कमानी से। हज़ारों हाथ धो बैठे जहां में जिंदगानी से।। बहुत सोचा लगा हमको ख़ता तेरी नहीं कोई। शिकायत है हमें ज़ालिम तेरी कातिल जवानी से।। किया घायल सदा तूने अदाओं से हमें अपनी। हुआ…
उसको तो ज़रा भी दिल में ही प्यार नहीं है उसको तो ज़रा भी दिल में ही प्यार नहीं है मैं सच कहूँ होठों पे ही इक़रार नहीं है आ दोस्त गले से ज़रा लग जा तू आकर अब राहों में खड़ी नफ़रत की दीवार नहीं है हाँ छोड़ नगर इसलिए…
इस कदर वो याद आती हर घड़ी है इस कदर वो याद आती हर घड़ी है ! पाने की आज़म उसी की ही लगी है भूल पाना ही उसे मुश्किल हुआ अब वो जुदा ऐसी मुझसे सूरत हुई है प्यार जिसके लहजे में था ही नहीं जो एक सूरत जीस्त में…
किसी का ज़ोर न चलता यहां तक़दीर के आगे किसी का ज़ोर न चलता यहां तक़दीर के आगे। झुकाते सर सभी अपना इसी तासीर के आगे।। बला की खूबसूरत हो मिले कैसे कोई तुम सा। ठहरता जब नहीं कोई तिरी तस्वीर के आगे।। न करते घाव वो दिल पर…
दिल हुआ है दीवाना इक आज मुखड़ा देखकर दिल हुआ है दीवाना इक आज मुखड़ा देखकर! रोज़ आहें दिल मेरे अब उसको भरता देखकर प्यार का दिल पे असर मेरे हुआ ऐसा यारों दिल कहीं भी अब नहीं उसको लगता देखकर के जैसे मेरे लिये रब ने बनाया है तुम्हें दिल…
जो किया मिलनें का वो वादा बदलती जो किया मिलनें का वो वादा बदलती दोस्त वो बातें लम्हा लम्हा बदलती साथ क्या मेरा निभायेंगे जीवन भर देखकर मुझको वही चेहरा बदलती आदमी इतना बुरा हूँ शक्ल से क्या मैं जो मुझे वो देखकर रस्ता बदलती किस तरह उसपे यकीं कर…