इस कदर वो याद आती हर घड़ी है
इस कदर वो याद आती हर घड़ी है
इस कदर वो याद आती हर घड़ी है !
पाने की आज़म उसी की ही लगी है
भूल पाना ही उसे मुश्किल हुआ अब
वो जुदा ऐसी मुझसे सूरत हुई है
प्यार जिसके लहजे में था ही नहीं जो
एक सूरत जीस्त में ऐसी मिली है
दूर दिल की कब शिक़ायत मेरे होगी
जीस्त में कोई नहीं अब तक ख़ुशी है
कहता था अपना मुझे जो रोज़ दिल से
बन गया मेरे लिये वो अजनबी है
जा चुका है छोड़कर वो साथ आज़म
जिंदगी अब यादों में ही कट रही है
️शायर: आज़म नैय्यर
(सहारनपुर )
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