Chalan mein
Chalan mein

चलन में है अब

( Chalan mein hain ab )

 

सीने को खोलने का फैशन चलन में है अब
और गाली बोलने का फैशन चलन में है अब

देखो ज़रा संभल के तुम बात कोई बोलो
कम करके तोलने का फैशन चलन में है अब

ये दूध जैसी रंगत आई नहीं है यूं ही
पाउडर को घोलने का फैशन चलन में है अब

कोने में रो रहें हैं सब सांप बिच्छू अजगर
लोगों से हौलने का फैशन चलन में है अब

अपने हुनर के बूते, बढ़ना हुआ है मुश्किल
पंखे को झोलने का फैशन चलन में है अब

हम सीधे सादे लड़के भाते नहीं किसी को
मक्कार रोलने का फैशन चलन में है अब

तुम आस पास अपने रक्खो नज़र गड़ा के
जेबें टटोलने का फैशन चलन में है अब

जिस पर न चाहा फैसल, तुमने थिरकना बरसों
उस धुन पे डोलने का फैशन चलन में है अब

 

शायर: शाह फ़ैसल मुजफ्फराबादी
सहारनपुर (उत्तर प्रदेश)

यह भी पढ़ें :-

कैसी बहार पर है वतन | Watan ke Halat par Ghazal

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here