चश्मे-तर बोलना
चश्मे-तर बोलना
कैसे कोशिश करे चश्मे-तर बोलना
हुक्म उसका उसे राहबर बोलना
पूरी कर दूँगा तेरी हरिक आरज़ू
प्यार से तू मगर उम्र भर बोलना
इस ख़मोशी से कैसे कटेगा सफ़र
कुछ तो तू भी मेरे हमसफ़र बोलना
मैंने मजबूर होकर के लब सी लिये
रूबरू उसके है बेअसर बोलना
मेरी ख़ामोशी चुभने लगी क्या उसे
कह रही है वो मुझसे नज़र बोलना
अपनी मजबूरियाँ क्या बताऊँ तुम्हें
रात को भी पड़ा है सहर बोलना
अपने घर का पता क्या बताऊँ तुम्हें
अपनी क़िस्मत है रस्ते को घर बोलना
अर्श छू लोगे साग़र यकीं है मगर
हौसलों को सदा बालो-पर बोलना
कवि व शायर: विनय साग़र जायसवाल बरेली
846, शाहबाद, गोंदनी चौक
बरेली 243003
यह भी पढ़ें:-