
स्वामी दयानंद सरस्वती
( Swami Dayanand Saraswati )
आर्य समाज की स्थापना कर वेदों का प्रचार किया।
दयानंद सरस्वती ने सिद्धांत जीवन में उतार लिया।
ओमकार हुंकार भर देता दिव्य ज्ञान अलौकिक सा।
आस्था उपासक प्रबल किया अध्ययन किया वेदों का।
मूर्तिपूजा अंधविश्वासों का संतों ने बढ़ विरोध किया।
आडंबर से दूर रहो सब जन जन को उपदेश दिया।
कर्म करो कर्म फल पाओ जीवन का सिद्धांत यही।
देशभक्त मतवालों में थी स्वामी जी की गिनती रही।
बालविवाह और सती प्रथा का खुलकर विरोध किया।
राष्ट्रीय एकता के वो पुजारी नारी शिक्षा पर जोर दिया।
अंग्रेजी हुकूमत को स्वामी जी का भय सताने लगा।
शक संदेह की नजरें आंधी तूफान बनकर आने लगा।
योग विद्या में पारंगत जहर पचाने में भी वो माहिर।
कोई क्या बिगाड़ सकता शत्रु भला कितना शातिर।
स्वराज का संचार किया जागो का मंत्र दिया सबको।
वैदिक ज्ञानी आलोकित सनातन पुरुष हुआ तब वो।
रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )