
गाँव
( Gaon )
मनहरण घनाक्षरी
टेडी मेडी पगडंडी,
खलिहानों की वो क्यारी।
ठंडी-ठंडी बहारों में,
गांव चले आइए।
मीठे मीठे बोल मिले,
सद्भाव प्रेम गांव में।
हरे भरे पेड़ पौधे,
ठंडी छांव पाइए।
खुली हवा में सांस लो,
हरियाली का आनंद।
चौपाल में चर्चा चले,
प्रेम बरसाइये।
सुख-दुख बांटे सब,
बहती नेह बयार।
गांव का जीवन प्यारा,
जीते चले जाइए।
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )