Poem hamari virasat
Poem hamari virasat

हमारी विरासत हमारी धरोहर

( Hamari virasat hamari dharohar )

 

 

शौर्य पराक्रम ओज भरा दमकता हो भाल जहां।
हम उस देश के वासी हैं बहती प्रेम रसधार यहां।

 

पुरखों की पावन संस्कृति रग रग में संस्कार भरा।
दूरदर्शी सोच ऊंची विनयशीलता गुणों भरी धरा।

 

दुर्ग किले हमारी विरासत हमारी धरोहर प्यारी है।
मेहमानों का आदर होता परिपाटी सबसे न्यारी है।

 

वतन की मिट्टी की खुशबू हर सांसो में बसती है।
देश प्रेम की भावना नित नए कीर्तिमान रचती है।

 

राणा का रण मीरा भक्ति रजवाड़ों की शान है।
बड़े बुजुर्गों का आदर गुणवानों का सम्मान है।

 

हमारी सभ्यता हमारी विरासत हमारी धरोहर है।
रखेंगे हम संभालकर अमर पद्मिनी का जौहर है।

 

पन्नाधाय का त्याग है भामाशाह की उदारता।
रणबांकुरों का पराक्रम है रणवीरों की वीरता।

 

कुआ बावड़ी दुर्ग बने है यहां लेकर निराली शान।
मधुर स्मृतियों के स्मारक प्यारा हमारा हिंदुस्तान।

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कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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