छोड़ो ना | Chhodo Na
छोड़ो ना
( Chhodo na )
साल नया तो झगड़ा अपना यार पुराना छोड़ो ना
मिलना जुलना अच्छा है तुम बात बनाना छोड़ो ना।
भूल गए जो रूठ गए जो नज़रें फेरे बैठे हैं
यादों में घुट घुट कर उनकी अश्क़ बहाना छोड़ो ना।
दरिया, सहरा, सागर ,बादल ,कैद किया सब जुल्फ़ों में
औरों की ख़ातिर कम से कम एक दिवाना छोड़ो ना।
लाख़ अलिफ़ लैला के किस्से सुनते आए बरसों से
आज कहानी सच्ची हो इस बार फ़साना छोड़ो ना।
सबको है मालूम कहां पर सांस तुम्हारी अटकी है
शाम सवेरे इन गलियों में गश्त लगाना छोड़ो ना।
छोड़ो रंजिश और हसद तुम फ़िक्र तकल्लुफ को छोड़ो
सबके ऐब गिना अपना मेयार गिराना छोड़ो ना।
वक्त, ख़ुदा, ग़म ,मर्ज़ ,बुढ़ापा इश्क़ झुका ही देता है
हर ऐरे ग़ैरे के दर सर यार झुकाना छोड़ो ना
सीमा पाण्डेय ‘नयन’
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )