Sanatan Vaibhav
Sanatan Vaibhav

सनातन वैभव

( Sanatan vaibhav )

 

धीरे धीरे ही बदल रही, यह और बदलती जाएगी।
धूमिल थी जो गौरव गरिमा, वो और निखरती जाएगी।

जो सदियों से त्रासदी झेली, निर्ममता का व्यवहार सहा,
अब दिन बदला है भारत का, इतिहास पुनः दोहरायेगी।

वैदिक रीति और ज्ञान ध्यान, ना जाने कैसे लोप हुआ।
गुरूकुल छूटा सम्मान घटा, वो पुराना वैभव नही बचा।

सत धर्म सनातन आहत की, लाखों देवालय तोड दिया,
अब धर्म सनातन जागृत है, जो और भी बढती जाएगी।

हम देखेगे सब देखेगे, निर्माण सनातन वैभव को।
हम देगे सब देखेगे, भारत के उज्जवल वैभव को।

धीरे धीरे ही बदल रही, यह और बदलती जाएगी।
भारत की गौरव गरिमा है, अब विश्व पटल पे छाएगी।

 

कवि :  शेर सिंह हुंकार

देवरिया ( उत्तर प्रदेश )

                                                                ?

          शेर सिंह हुंकार जी की आवाज़ में ये कविता सुनने के लिए ऊपर के लिंक को क्लिक करे

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