चूल्हे की रोटी

( Chulhe ki roti )

 

गर्मा गर्म चूल्हे की रोटी होती गोल मटोल शानदार।
तरोताजा तवे की रोटी हमें लगती बहुत जानदार।

चिकनी चिकनी चुपड़ी चुपड़ी स्वाद से है भरी पूरी।
खाने वाले खाते ही जाए हल्की हो जाए हलवा पूरी।

चूल्हे की रोटी मन को भाए घर वाले खुशी से खाए।
मेहमानों को मोहित कर देती गर्मा गर्म सबको भाए।

हष्ट पुष्ट ताकत देती बल बुद्धि समृद्धि की सूचक।
चूल्हे की रोटी संग में दाल खाने में लगती रोचक।

गैस चूल्हा चलन आया हल्की फुल्की रोटी लाया।
चार चपाती चटनी खाकर गैस बढ़ी पेट थर्राया।

तवा रोटी या तंदूरी हो चाहे रोटी कह दो रुमाल।
चूल्हे की रोटी गजब खाकर देखो जरा कमाल।

 

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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