खोखले शब्द

( Khokhale shabd )

 

शब्द कोष मे ऐसे शब्द हैं ही नहीं की
जो भूख से ऐंठती अंतड़ियों के दर्द
भूख से रोते बिलखते बच्चों की याचना भरी दृष्टि
खाली पड़े बर्तनों की खन खनाहट को
शब्दों में व्यक्त कर सकें

वो शब्द ही नही बने
जो ऐसी स्थिति में मां को ढांढस बंधा सकें
जो मदद की अपेक्षा से जाए
और लोगों की आंखों मे देखे
जरूरत के बदले जरूरत की पूर्ति की शर्त

वो शब्द ही नही बने
जिसे आत्मा सह न सके कह भी न सके
बच्चों की मजबूरी के आगे
निभा न सके अपना धर्म
न बच्चों का न समाज का

शब्द तो केवल वे ही बने हैं
जो दिला सकें मौखिक संतुष्टि
कर सकें व्यक्त खोखले दुःख और संताप
या फिर अपनी इच्छा की पुष्टि की मंजूरी
एक मां के सामने जो
सिर्फ खोखले और घिनौने ही हैं

 

मोहन तिवारी

( मुंबई )

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