Dashare ka Tyohar
Dashare ka Tyohar

दशहरे का त्यौहार

( Dashare ka tyohar )

प्यारा और न्यारा यह दशहरे का त्यौहार,
सभी करों रावण रुपी राक्षसों का संहार।
छोड़ो क्रोध, छल-कपट चुगली भ्रष्टाचार,
होती अच्छाई की जीत व बुराई की हार।।

ये उत्सव मनातें सभी जगह पर धूमधाम‌,
रावण को हराकर विजय हुऐ थे श्री राम।
विजयादशमी है इसी त्यौहार का ही नाम,
मर्यादा पुरुषोत्तम थें ये भगवान श्री राम।।

पर्व दशहरे से मिलती है यह प्यारी सीख,
हारती है झूठ सदा लगाओ सत्य से प्रीत।
पुतले जलाते रावण के बनाकर इस रोज,
खुशियां मनाते धूम-धाम से गाते है गीत।‌।

उत्साह एवं श्रद्धा से मनाया जाता है पर्व,
भगवान सियाराम पर हम सबको है गर्व।
माॅं दुर्गा ने इस दिन महिषासुर वध किया,
नवरात्रा में दसवें दिन मनातें है दोनों पर्व।

बढ़ रही है आज लगातार इसकी कतार,
वर्तमान में दशानन बन रहा ये भ्रष्टाचार।
अहंकारियों का होता है सदैव ही विनाश,
दगा द्वेष अन्याय न करें कोई अत्याचार।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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