दीप जलाने वालों के | Deep Jalane Walon ke
दीप जलाने वालों के
( Deep jalane walon ke )
घर के भेद हर किसी को कभी बताए नहीं जाते।
बड़े बुजुर्ग छांव सलोनी कभी सताए नहीं जाते।
जल जाती है तब सोने सी लंका नगरी सारी।
मद में होकर चूर नैन कभी दिखाए नहीं जाते।
विभीषण को लात मारी रावण का विनाश हुआ।
सच्चाई के सामने सदा झूठ का पर्दा फाश हुआ।
मिट जाती सब हस्तियां जो औरों का हक खाते हैं।
मेहनत करने वालो का जग में सदा विकास हुआ।
दीप जलाने वालों के घट घट उजियारा होता है।
खुशियां बांटने वालों का जन जन प्यारा होता है।
जन सेवा को निकल पड़ा परचम वही लहराया।
सबके दिल को जीतने वाला नर सितारा होता है।
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )