He nath bacha lo
He nath bacha lo

हे नाथ बचा लो

( He nath bacha lo )

 

जग के सारे नर नारी
रट रहे माधव मुरलीधारी
यशोदा नंदन आ जाओ
मोहन प्यारे बनवारी

 

चक्र सुदर्शन लेकर प्रभु
नियति चक्र संभालो
कहर कोरोना बरस रहा
आकर नाथ बचा लो

 

उठा अंगुली पर गोवर्धन
बचा लिया गोकुल को
हर लो पीर हे श्री कृष्णा
तार लो मानव कुल को

 

पट क्या बंद किये जग के
सारे दरवाजे बंद हुए
सूनी सूनी सड़के सारी
क्रियाकलाप चंद हुए

 

प्रगति रथ के बनो सारथी
जन जन के सब कष्ट हरो
खुशियों के अंबार लगा
प्रभु महामारी अब नष्ट करो

 

दीनदयाल दया के सागर
अमृत रस बरसाओ अब
छाया है घनघोर अंधेरा
भगवन पीर मिटाओ अब

 

त्राहि-त्राहि का क्रंदन है
सांसों का सरगम गाता
कैसी लीला प्रभु विधना की
रक्षा करो हे भाग्य विधाता

?

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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