Dhanteras par kavita

धनतेरस | Dhanteras par kavita

धनतेरस

( Dhanteras )

धन की देवी लक्ष्मी,
सुख समृद्धि भंडार।
यश कीर्ति वैभव दे,
महालक्ष्मी ध्याइये।

नागर पान ले करें,
धूप दीप से पूजन।
दीप जला आरती हो,
रमा गुण गाइए।

रिद्धि सिद्धि शुभ लाभ,
सब सद्गुण की दाता।
खुशियां बरसे घर,
दीपक जलाइए।

रोली मोली अक्षत ले,
पूजन थाल सजाएं।
मन वचन कर्म से,
प्रसून चढ़ाइए।

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रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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