बिहार में पुल बह रहे हैं!
*****
बिहार में विकास की गंगा नहीं पुल बह रहे हैं,
नेता प्रतिपक्ष तो यही कह रहे हैं।
बाढ़ से नवनिर्मित पुलों का ढ़हना जारी है,
ढ़हने में अबकी इसने हैट्रिक मारी है।
पहले सत्तरघाट-
फिर किशनगंज और अब अररिया,
के पुल बह गए बीच दरिया।
अनियमितता एवं घोटालों की कहानी कह गए,
जनता की उम्मीदें आंसूओं में बह गए।
ऐसी खबरें दिखाई भी नहीं जा रही हैं,
जानबूझकर छुपाई जा रहीं हैं।
न अखबारों में छप रही हैं ,
न टीवी पर आ रही हैं;
केवल सुशांत रिया ही दिखाई जा रही हैं।
भला हो सोशल मीडिया का-
जिसके माध्यम से ऐसी खबरें हमें मिल पा रहीं हैं,
जिन्हें दिखाने में सरकार शरमा रही है।
गोदी मीडिया छुपा रही हैं,
निष्पक्ष मीडिया भी घबरा रही है;
या डर जा रही है।
नहीं खोल रहीं हैं इन घोटालों की पोल,
जांच के नाम पर होगा देखना फिर झोल।
लीपापोती कर मामले को दबाया जाएगा,
घोटालेबाजों को साफ बचाया जाएगा।
मलाई ऊपर तक गई होगी?
उनकी पहुंच भी वहां तक होगी!
फिर कैसे जांच सही-सही होगी?
आंच ऊपर तक जो चली जाएगी!
सरकार के गले की फांस ही बन जाएगी।
इसलिए ऐसा किया जा रहा है,
मामले को येन केन प्रकारेन दबाया जा रहा है।
पर विपक्षी नेता कुछ गंभीर दिख रहे हैं,
लगातार सरकार को घेर सवाल पूछ रहे हैं।
स्वायल टेस्टिंग और एप्रोच रोड का मुद्दा उठा रहे हैं,
एस्टीमेट सार्वजनिक करने की मांग कर रहे हैं।
बिना एप्रोच रोड पुल का क्या काम?
राशि का बंदरबांट कर हो रहा काम तमाम?
ऐसे घोटालों का खेल जारी है,
चुनावी साल है,चल रही है तैयारी-
पर देखना दिलचस्प होगा-
जनता के कदम का,
जब आती है उनकी बारी।