Geet zindagi par
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हालात ही जिंदगी संवारते

( Halat hi zindagi sanwarte )

 

हिम्मत हौंसले सदा हमारा बिगड़ा वक्त संवारते।
हालातो से क्या डरना हालात जिंदगी संवारते।

 

सुख दुख तो आते रहते आंधी तूफां बनकर जब छाये।
वक्त कब करवट बदले समय क्या-क्या खेल दिखाए।
साहस के दम चलने वाले बोलो हिम्मत कब हारते।
मुश्किलों का करे सामना हालात जिंदगी संवारते।

 

सद्भावों की बहती गंगा अनमोल मोती प्यार भरे।
अपनापन बरसाते रहते अधरों पर मुस्कान धरे।
रिश्तो की डोर संभाले अपनों पर खुशियां बांटते।
हर हाल में जीना सीखो हालात ही जिंदगी संवारते।

 

संकट के बादल बनते कभी बहारें आये जीवन में।
आनंद खुशियों के पल उमंग जगा देते तन मन में।
औरों की खातिर जी कर देखो सारे कष्ट निवारते।
वक्त सिखा देता जीना हालात ही जिंदगी संवारते।

 

रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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