Dil ka Dard
Dil ka Dard

किसी किसी के लिखा होता दिल का दर्द

( Kisi kisi ke likha hota dil ka dard ) 

 

ये दिल की धड़कने है सब पीर पराई क्या जाने।
क्या होता है दिल का दर्द वो हरजाई क्या जाने।

किसी किसी के लिखा होता दिल का दर्द दीवाना।
किसी किसी के जीवन में ही आता पल ये सुहाना।

पीर सहकर भी सुखद सा एहसास यह प्यारा होता।
दिल की धड़कनों का संगीत दुनिया से न्यारा होता।

दर्द होकर सुकून दे जाता हमको आंखों से बहकर।
अश्रु की धारा में ढलता आंसुओं की धार बनकर।

सैलाब सा आ जाता है सिंधु सा उमड़ा आता है।
दर्द तूफानों की भांति खुशियां उड़ा ले जाता है।

प्रीत की डगर पर फिर भी पीर को सहते जाते।
दर्द चाहे जितना हो रिश्तो को सहेजकर निभाते।

 

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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